‘डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला’ की ओर से प्रयागराज से ५ नवम्बर से आरम्भ अभिनव और अभूतपूर्व अभियान ‘अपनी भाषा सुधारिए’ दैनिक जागरण’ समाचारपत्र-कार्यालय से आरम्भ होकर दूरदर्शन-केन्द्र, प्रयागराज में विराम लिया है, जो कि उक्त शैक्षिक अभियान का यह प्रथम चरण था।
दैनिक जागरण के सम्पादकीय कक्ष में आत्मीयपूर्ण वातावरण में समाचारपत्रों में प्रयोग किये जा रहे अशुद्ध शब्दों पर गम्भीरतापूर्व विचार-विनिमय किया गया। आऊट-पुट-प्रभारी सुरेश पाण्डेय के नेतृत्व में दैनिक जागरण के पत्रकारों (मुख्य संवाददाता, संवाददाता, डेस्क पत्रकार, छायाकार आदिक) ने खुलकर अपनी समस्याएँ बतायीं; साथ ही ऐसे प्रश्न भी किये थे, जिनके कारण अब शब्दों का मानकीकरण अनिवार्य हो गया है। पत्रकारगण को पाठशाला के शिष्टमण्डल ने बताया कि वे पत्रकार मित्रों को अपने शब्दों को लेकर कोई बाध्यकारी स्थिति उत्पन्न करने नहीं आये हैं, बल्कि सरल शब्दों को शुद्धता के साथ प्रस्तुत करने का आग्रह करते हैं।
पाठशाला की ओर से शासकीय महाविद्यालय के पू्र्व-प्रधानाचार्य और आलोचक डॉ० विभूराम मिश्र ने बताया, “सभी भारतीय भाषाएँ आर्यभाषाओं (बंगला, गुजराती, संस्कृत आदिक) से निकली हुई हैं, इसलिए यदि शुद्धता के प्रति विशेष ध्यान किया जाये तो शब्द-सर्जन की क्षमता में वृद्धि होगी। डॉ० मिश्र ने यह भी कहा कि जो अभारतीय शब्द हिन्दी के साथ घुल-मिल गये हैं, उन्हें उनके उसी रूप में ग्रहण कर लेना चाहिए।
आरम्भ में पाठशाला की ओर से आये हुए प्रतिनिधिमण्डल का परिचय हुआ, जिसमें डॉ० विभुराम मिश्र, डॉ० प्रदीप चित्रांशी, कुँवर तौक़ीर अहमद ख़ान, आनन्द ओझा ‘सागर’, सुधीर अग्निहोत्री, रणविजय निषाद, जगन्नाथ शुक्ल तथा डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय सम्मिलित थे। पत्रकार शब्दों के प्रति जागरूक दिखे। वे कई शब्दों के मौखिक और लिखित रूप की शुद्धता के प्रति आग्रहशील थे; साथ ही अपनी व्यवस्थागत कठिनाइयों के प्रति जागरूक भी। पाठशाला के शिष्टमण्डल ने दैनिक जागरण-परिवार को पूर्व-घोषित २५ अशुद्ध-अनुपयुक्त और उनके शुद्ध और उपयुक्त शब्दों (अर्थसहित) की एक सूची भी भेंट की। इस आयोजन में पाठशाला की ओर से आरोपी-आरोपित, रंगविरंगा, विज्ञानी-वैज्ञानिक, जन्मदिन-जन्मतिथि-जयन्ती, बाह्य-वाह्य, मिष्ठान्न-मिष्टान्न-मिठाई, प्रज्वलन-प्रज्वलित-उज्जवल, एलान-ऐलान आदिक शब्दों की सार्थकता को बताया-समझाया गया था। उसके बाद अभियान-शिष्टमण्डल ‘हिन्दुस्तान’ समाचारपत्र-कार्यालय पहुँचा, जहाँ वरिष्ठ सम्पादक विश्वेश्वर कुमार ने शिष्टमण्डल का स्वागत किया। शिष्टमण्डल की बातों को उन्होंने गम्भीरतापूर्वक सुना और बताये गये शब्दों का संज्ञान करते हुए यथासम्भव प्रयोग करने के प्रति आश्वस्त किया। विश्वेश्वर कुमार जी को २५ शुद्ध/उपयुक्त शब्दों की सूची दी गयी। आकाशवाणी के सहायक निदेशक लोकेश शुक्ल ने शिष्टमण्डल का स्वागत करते हुए सौमनस्यपूर्ण वातावरण में शब्दों की शुद्धता को लेकर संवाद किया और शुद्धता के प्रति आकाशवाणी को जागरूक करने का भरोसा दिया और भाषाविषयक कार्यक्रम आरम्भ करने का आश्वासन दिया।
इस प्रथम अभियान का अन्तिम पड़ाव दूरदर्शन-केन्द्र था, जहाँ के केन्द्र-प्रमुख एस० पी० जायसवाल और कार्यक्रम-प्रमुख हर्षित कुमार ने शिष्टमण्डल के विचारों को गम्भीरतापूर्वक सुना और अपने कार्यक्रम के स्तर को शुद्धता के स्तर पर प्रभावकारी करने का आश्वासन दिया था। उन्हें भी २५ शब्दों की एक सूची भेंट की गयी थी।