राघवेन्द्र कुमार ‘राघव’
हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की बोर्ड परीक्षाओं में अब तक करीब 10 लाख परीक्षार्थी परीक्षा से किनारा कर चुके हैं । योगी सरकार की ओर से परीक्षा में नकल पर नकेल कसने के प्रयासों ने छात्रों को परीक्षा छोड़ने पर विवश कर दिया है। इतनी बड़ी संख्या में परीक्षार्थियों का परीक्षा छोड़ना जहाँ एक ओर राज्य के लिए चिंता का विषय है वहीं दूसरी ओर उत्तर प्रदेश में शैक्षिक भ्रष्टाचार की जीती जागती मिसाल है । दो वर्ष पूर्व मैंने एक नामी पत्रिका ‘सब लोग’ के लिए एक शोध आधारित लेख लिखा था । जिसके अनुसार अनुमान के मुताबिक उत्तर प्रदेश में नकल का यह काला साम्राज्य 10,000 करोड़ से भी ज्यादा का है । इसमें ऊपर से नीचे तक हजारों जिम्मेदार बेईमानी में संलिप्त हैं प्रशासनिक हाक़िम जिन पर नकल रोकने की नैतिक एवं वैधानिक जिम्मेदारी है, आज नकलची व्यवस्था के पहरुए बने दीखते हैं । अब तक यूपी में बोर्ड परीक्षाअाें के दौरान जमकर नकल कराई जाती थी।
आज यानि शनिवार को परीक्षा का चौथा दिन था । जब कक्ष निरीक्षक कक्षाओं में गए तो ज्यादातर सीटें खाली थीं। यूपी माध्यमिक शिक्षा बोर्ड के अनुसार, चौथे दिन 10 लाख से अधिक छात्र-छात्राओं ने परीक्षा को बाय-बाय कह दिया है । उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नकल रहित परीक्षा के वादे को ये 10 लाख परीक्षा नहीं देने वाले छात्र पूरा होता बता रहे हैं । प्राप्त आंकड़ों के अनुसार 10,40,619 छात्र 6 से 9 फरवरी के बीच परीक्षा में शामिल नहीं हुए । इंटरमीडिएट के 4,10,146 और हाईस्कूल के 6,24,473 छात्रों ने परीक्षा नहीं दी। माध्यमिक शिक्षा परिषद की परीक्षा के इतिहास में शायद यह पहला मौका है जब इतनी बड़ी तादाद में परीक्षार्थियों ने परीक्षा छोड़ी है। पिछले वर्ष भी बोर्ड परीक्षाओं के दौरान 5.25 लाख विद्यार्थियों ने परीक्षा छोड़ी थी परंतु इस बार इतनी बड़ी संख्या में परीक्षार्थियों के परीक्षा में शामिल ना होने से यूपी बोर्ड एवं शिक्षा विभाग के अधिकारी भी हैरत में हैं।