71वें स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर नए भारत के निर्माण के आह्वान से देश के नव निर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने राष्ट्र के नाम पहले सम्बोधन की शुरुआत की । राष्ट्रपति महोदय ने आशा व्यक्त की है कि 2022 तक नए भारत का निर्माण किया जा सकता है। उन्होंने लिंग या धर्म के आधार पर किसी प्रकार के भेदभाव रहित एक ऐसे संवेदनशील और समानता पर आधारित समाज के निर्माण की बात कही जो देश को रामराज की ओर ले जाएगा, कहीं न कहीं यही सपना महात्मा गाँधी का भी था । स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने पहले संबोधन में श्री कोविंद ने कहा कि समाज के प्रत्येक वर्ग को देश की विकास प्रक्रिया में भागीदार बनना चाहिए। एक ऐसा संवेदनशील समाज जहां पारंपरिक रूप से वंचित लोग चाहे वे अनुसूचित जाति के हों या जनजाति के हो या पिछले वर्ग के हों देश की समग्र प्रक्रिया में सहभागी बने। राष्ट्रपति ने शिक्षा पर जोर देते हुए कहा कि एक ऐसे संवेदनशील समाज का निर्माण करना होगा।
एक ऐसा संवेदनशील समाज जो मानव संसाधन रूपी हमारी पूंजी को समृद्ध करे। जो विश्व स्तरीय शिक्षण संस्थानों में अधिक से अधिक नौजवानों को कम खर्च पर शिक्षा पाने का अवसर देते हुए उन्हें समर्थ बनाए तथा जहां बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं और कुपोषण एक चुनौती के रूप में न रहे।राष्ट्रपति ने कहा कि हमारा राष्ट्रीय संकल्प होना चाहिए कि हम तब तक ऐसे नए भारत का निर्माण करे जिसमें गरीबी की बिल्कुल भी गुंजाइश न हो, हर परिवार के पास मकान हों, आवश्यकता के अनुसार बिजली उपलब्ध हो, बेहतर सडकें तथा दूरसंचार सेवाएं हो, आधुनिक रेलवे नेटवर्क हो और तेज तथा सतत विकास हो।
न्यू इंडिया का अभिप्राय है कि हम जहां पर खडे हैं वहां से आगे जाएं। तभी हम ऐसे न्यू इंडिया का निर्माण कर पाएंगे जिस पर हम सब गर्व कर सके। ऐसा न्यू इंडिया जहां प्रत्येक भारतीय अपनी क्षमताओं का पूरी तरह विकास और उपयोग करने में इस प्रकार सक्षम हो कि हर भारतवासी सुखी रहे। यह एक ऐसा न्यू इंडिया बने जहां हर व्यक्ति की पूरी क्षमता उजागर हो सके और वे समाज और राष्ट्र के लिए अपना योगदान कर सके। मुझे पूरा भरोसा है कि नागरिकों और सरकार के बीच मजबूत साझेदारी के बल पर न्यू इंडिया के इन लक्ष्यों को हम अवश्य हासिल करेंगे।
राष्ट्रपति ने कहा कि नोटबंदी ने ईमानदार समाज के निर्माण में सरकार के प्रयासों को बढ़ावा दिया है। नोटबंदी के समय जिस तरह आपने असीम धैर्य का परिचय देते हुए काले धन और भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का समर्थन किया। वो ही एक जिम्मेदार और संवेदनशील समाज का ही प्रतिबिंब है। नोटबंदी के बाद से देश में ईमानदारी के प्रवृति को बढावा मिला है। ईमानदारी की भावना दिन प्रतिदिन और मजबूत हो इसके लिए हमें लगातार प्रयास करते रहना होगा। श्री कोविंद ने आधुनिक टेक्नोलॉजी का ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल करने पर जोर दिया ताकि लोग सशक्त बन सके। राष्ट्रपति ने कहा कि आज पूरी दुनिया भारत को सम्मान की दृष्टि से देखती है और एक उभरती अर्थव्यवस्था के रूप में उसकी सराहना कर रही है। उन्होंने कहा कि जलवायु परिवर्तन, प्राकृतिक आपदाओं, आपसी टकराव और कट्टरवाद तथा आतंकवाद जैसी कई अंतर्राष्ट्रीय चुनौतियों से निपटने के लिए भारत विश्व पटल पर अहम भूमिका निभा रहा है। राष्ट्रपति ने सैनिकों, पुलिस और अर्धसैन्य बलों के बलिदान की सराहना की।
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में देशवासियों से उन परिवारों से प्रेरणा लेने की अपील की जिन्होंने स्वेच्छा से एल पी जी की सब्सिडी लेनी छोड़ दी है। श्री कोविन्द ने कहा कि सरकार बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के विचार को बढ़ावा दे रही है, लेकिन यह लोगों पर निर्भर है कि लड़कियों के साथ कोई भेदभाव न हो और उन्हें सर्वोत्तम शिक्षा मिले। वस्तु और सेवाकर की चर्चा करते हुए श्री कोविन्द ने कहा कि नई प्रत्यक्ष कर प्रणाली, कर-बहुल प्रणाली को समाप्त करने और कारोबार को आसान बनाने के लिए शुरू की गई है। उन्होंने कहा कि यह राष्ट्र के लिए गर्व की बात होनी चाहिए कि लोग जो कर दे रहे हैं उसका उपयोग राष्ट्र निर्माण के लिए हो रहा है ताकि गरीबों और वंचितों की मदद की जा सके, ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में ढांचागत विकास हो सके और सीमा पर सुरक्षा को मजबूत बनाया जा सके।
सरकार ने टैक्स की प्रणाली को आसान करने के लिए जीएसटी को लागू किया है प्रक्रियाओं को आसान बनाया है। लेकिन इसे अपने हर काम काज और लेन देन में शामिल करना तथा टेक्स देने में गर्व महसूस करने की भावना को प्रसारित करना हम में से हरेक की जिम्मेदारी है। मुझे खुशी है कि देश की जनता ने जीएसटी को सहर्ष स्वीकारा है। अंत में, राष्ट्रपति ने गौतम बुद्ध का उल्लेख करते हुए कहा कि अप्प दीपो भव, यानी अगर देश एक होकर उनके उपदेशों का अनुसरण उसी उत्साह से करता है जिस प्रकार स्वतंत्रता आन्दोलन के समय किया था तो हम सब मिलकर नए भारत के पथ को प्रकाशित करने वाले सवा सौ करोड़ दीपक बन सकते हैं।
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