जनता का दोहन कर रहीं, केन्द्र-राज्य की सरकारें!

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(प्रख्यात भाषाविद्-समीक्षक)

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय- 


देश का आर्थिक विकास हो रहा है तो प्रतिमाह फुटकर और थोक आर्थिक दर में वृद्धि क्यों और कैसे हो रही है?रोटी-कपड़ा-मकान क्यों महँगे होते जा रहे हैं? सरकार मनमाने तरीक़े से उपभोग और उपयोग करनेवाली दैनन्दिन वस्तुओं के मूल्यों में बढ़ोत्तरी क्यों करती जा रही है? ‘जी०एस०टी०’ के नाम पर सरकार जनसामान्य को व्यवहार में कौन-सा आर्थिक लाभ दे रही है? सरकार स्वास्थ्य, शिक्षा, आहार-विहार आदिक के लिए सर्वसुलभ कौन-सा सुविधा-साधन दे रही है?
सच तो यह है कि केन्द्र-राज्य-सरकारें चलानेवाले लोग तरह-तरह के ‘कर’ लगाकर जनसामान्य की गाढ़ी कमाई पर ऐश कर रहे हैं। जनसामान्य को अब अपनी मिहनत की कमाई को ऐसों की नज़रों से बचाने की ज़रूरत है। डीज़ल, पेट्रोल, मिट्टी के तेल, गैस-सिलिण्डर इत्यादिक पर कमरतोड़ वृद्धि का विरोध सड़कों पर उतरकर देश की जनता नहीं करेगी तो सरकार चलानेवाले सत्ताधारी राज्य-सरकार और केन्द्र-सरकार की ओर से एक ही वस्तु पर अलग-अलग ‘कर’ लगाकर ऐसे ही दोहन करते हुए, सभी का जीना और दूभर कर देंगे।
ज़मीनी आर्थिक विकास को देखते हुए, वर्तमान सरकार पूरी तरह से असफल है और अविश्वसनीय भी। सभी देशवासियों के लिए अब जाति, धर्म, वर्गादिक की विसंगतियों से परे रहकर वर्तमान सत्ताधारियों को ‘सत्ताच्युत’ करने का समय आ गया है। हमें ‘जुमलेबाज़’ नहीं, ‘कथनी-करनी’ में एकरूप रहकर राष्ट्रहित में काम करनेवाले नेतृत्व की ज़रूरत है।