फागुन और होली

फागुन का अर्थ है मस्ती, मदहोशी, मनुहार और होली का अर्थ है अपने तमाम तनावों, चिंताओं और परेशानियों को एक कोने पर रख कर फाग, भांग और रंगों के सुरूर में डूब जाना। शायद इसीलिए फागुन और होली पूरे भारतवर्ष का विशेषकर उत्तर भारतीयों का सबसे बड़ा स्ट्रेस बस्टर है।

कहते हैं कि फौज में जवानों को दारू देने की परंपरा अंग्रेजों के समय इसलिए शुरू हुई ताकि जवान दिन भर की थकान और तनाव को शाम के समय दो पैग मारकर मिटा सके। अपने सारे गम गलत कर लें। तभी तो दारू फौजियों का आल टाइम फेवरिट स्ट्रेस बस्टर है। बारिश हुई तो खुशी में पीते हैं और न हुई तो गम में। कुल मिलाकर खुशी हो या गम, सबसे बेहतर रम, दाम भी सबसे कम।

वैसे तो वायुसेना में मधुशाला शाम को खुलती है। बाहर सूरज डूबते ही बार के अंदर जाम उतराने लगते हैं। लेकिन होली के दिन शाम तक का भी इंतजार करना मुश्किल हो जाता है इसलिए वायुसेना में इस दिन स्पेशल बार टाइमिंग होती है। होली के दिन मधुशाला सुबह 10 से दोपहर 1 बजे तक अधिकृत रूप से खुली रहती है। मौसम ऐसा सुहावना रहता है कि सर्दी , गर्मी का कॉकटेल बना रहता है। इसलिए होली पर सर्दी वाली रम, गर्मी वाली बियर या सदाबहार व्हिस्की कुछ भी लिया और पिया जा सकता है।

वायु सेना में होली ही एक ऐसा त्यौहार है जब लिविंग- इन (मेस) में रहने वाले लड़के भी परिवार के साथ रह रहे अपने सीनियर्स के घर जाते हैं तो गुझिया, नमकपारा, दही बड़ा जैसे तमाम पकवानों के साथ रम और व्हिस्की की बोतलें भी उनका स्वागत कर रही होती है। हालांकि अनुभवी लोग शुरुआत करने वालों के लिए बियर और कभी न पीने वालों हेतु कोल्ड ड्रिंक की व्यवस्था भी किये रहते हैं।

इस दिन सीनियर- जूनियर, लिविंग-इन, लिविंग-आउट, टेक्निकल-नॉन-टेक्निकल, मेकैनिकल-इलेक्ट्रॉनिक्स के भेद दारू के साथ दफा हो जाते हैं। दारू की कसम मुझे तो लगता है कि स्वर्गीय हरिवंशराय बच्चन ने अपनी कालजयी कविता –
“मंदिर-मस्जिद बैर कराते,
मेल करती मधुशाला।”
होली के दिन किसी वायुसेना स्टेशन में बैठकर लिखी होगी।

(विनय सिंह बैस)
एयर वेटेरन