दो दर्जन से अधिक पालतू पशुओं को ग्रामीणो ने छोड़ा, किसानों की फसल को कर रहे बरबाद

सुबह शाम दूध लगाने के बाद छोड़ देते हैं गाय, मना करने के बावुजूद भी सुधरने को तैयार नहीं अनुसूचित समाज के लोग

हरदोई। विकासखंड कछौना के थाना बघौली क्षेत्र के अंतर्गत महरी गांव में लगभग एक दर्जन अनुसूचित समाज के लोग के द्वारा खेती के कार्य करने योग्य न रहे गोवंश को छोड़ दिया गया है। कुछ दुधारू गायों को सुबह-शाम दुहने के बाद छोड़ दिया जाता है। यह गायें लगातार खेतों में खड़ी फसलों को हानि पहुंचा रही हैं। मना करने के बावुजूद यह लोग मानने को तैयार नहीं। यह लोग उलटे झगड़ा करने को तैयार हो जाते हैं।

अब तक गांव अन्ना मवेशियों से त्रस्त था, लेकिन अब गांव के कुछ शरारती तत्वों के द्वारा यह प्रक्रिया अपनाई जाने के बाद खड़ी फसलों पर संकट गहरा गया है। पुराने बैलों को छोड़कर घूम रहे अन्ना मवेशियों में से अच्छे बैलों को पकड़कर खेत जोतने की प्रक्रिया भी जारी है। इन्हें भी काम निकालने के बाद इन लोग के द्वारा छोड़ दिया जाएगा। इन कुछ गांव के लोग की यह कार्यशैली, सरकार को बदनाम करने का कार्य करती है।

बताते चलें कि महरी गांव निवासी मृतक सूबेदार पुत्र मलंग की पत्नी के द्वारा दो दुधारू गायों को छुट्टा छोड़ रखा गया है जो कि सुबह शाम लगाने के बाद वह खेतों में फसल बर्बाद करती हैं और मना करने के बाद महिला होने का फायदा उठाते हुए झगड़ा पर आमदा हो जाती हैं। दूसरा चेतराम पासी पुत्र हरी के द्वारा दुधारू गाय सहित तीन गोवंशों को छोड़ा गया है। मायाराम पुत्र विशंभर पासी के द्वारा एक दुधारू गाय सहित तीन गोवंश को छोड़ दिया गया है। तेजा पासी पुत्र निंजा पासी के द्वारा चार गौबंशों को छोड़ा गया। श्यामलाल पासी पुत्र हग्गू पासी के द्वारा दो गोवंशों को छोड़ दिया गया। गोकरन पासी के द्वारा दो वृद्ध बैलों को छोड़कर छुट्टा घूम रहे दो नए बछड़ों को बांध लिया गया तथा श्री पाल पासी के द्वारा दो बैलों को छोड़ दिया गया। अप्पे लाल रैदास पुत्र नत्था रैदास के द्वारा चार गायों को छोड़ दिया गया, जिससे यह खेतों में खड़ी फसलों को लगातार बर्बाद कर रहे हैं और किसान के द्वारा मना करने के बावजूद झगड़ा करने पर उतारू हो जाते हैं।

गांव के लोग की कार्यशैली के चलते किसान शासन एवं प्रशासन को कोसता है। गांव के इन शरारती तत्वों के विरुद्ध प्रशासन के द्वारा यदि कठोर कार्रवाई न की गई तो भविष्य में बंधे हुए जानवरों को छोड़ने तथा दूध वाले पशुओं को पकड़ने का सिलसिला अनवरत जारी रहेगा और खड़ी किसानों की फसल खेतों में बर्बाद होती रहेंगी। सरकार कितने भी गौशाला क्यों न बनवा दे लेकिन छुट्टा जानवरों की समस्या समाप्त नहीं होगी।