Suneel Badola (Journalist / Writer)-
राग देश
कलाकार – कुणाल कपूर, अमित साध, मोहित मारवाह
निर्देशक – तिग्मांशु धूलिया
कहानी: यह कहानी है इंडियन नेशनल आर्मी के तीन ऑफिसर की, जिन पर देशद्रोह के लिए मुकदमा चल रहा है। इनके साहस के परिणाम का सामना करने में एक बीमार वकील इनकी मदद करता है।
रिव्यूः इस समय हम ऐसे दौर में जी रहे हैं जब राष्ट्रीय गौरव की भावना बहुत प्रबल हो रही है। अगर आपकी देशभक्ति आपके ऐटिट्यूड, आपके खाने, फिल्म थिऐटर में आपके शिष्टाचार और आपके ट्विटर फीड में नहीं दिखाई देती तो इससे आपके अस्तित्व पर सवाल खड़ा हो जाता है। जब हम ‘भारत’ कहने से भी ज्यादा तेजी से निष्कर्ष पर पहुंच जाते हैं, तो हम अक्सर उन लोगों को भूल जाते हैं जिन्होंने अपने खून का बलिदान देकर युद्ध किया और जिनकी वजह से आज हम यहां हैं।
‘राग देश’ हमें इन्हीं देशभक्त हीरो की ओर वापस ले जाता है। इस फिल्म में मेजर जनरल शाहनवाज़ खान ( कुणाल कपूर), लेफ्टिनेंट कर्नल गुरबख्श सिंह ढिल्लों ( अमित साध) और कर्नल प्रेम सेहगल ( मोहित मारवा) की कहानी बताई गई है। सुभाष चंद्र बोस की इंडियन नैशनल आर्मी के ये तीन अधिकारी, दूसरे विश्व युद्ध के बाद अंग्रेजों को भगाकर भारत में फिर से प्रवेश के लिए सैनिकों को इकट्ठा करते हैं। खान, ढिल्लों और सहगल को ब्रिटिश भारतीय सेना के खिलाफ षड्यंत्र रचने के आरोप में गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश किया जाता है। वहीं, उनके वकील भुलाभाई देसाई (केनेथ देसाई) आरोपों को सुलझाने के लिए तथ्यों को तोड़-मरोड़ पेश करने की कोशिश करते हैं।
लेखक-निर्देशक तिग्मांशु धूलिया ने आजादी से लड़ने के इस जंग की कहानी को बड़े ही शानदार तरीके से बयां किया है। भले ही यह फिल्म 1992 में आई ‘अ फ्यू गुड मैन’ जैसी लगती हो, लेकिन इस फिल्म के पीछे जिन चार लोगों की रिसर्च टीम और दो सदस्यों की राइटिंग टीम ने मेहनत की है वह साफ नज़र आ रही। कहानी को अलग अंदाज़ से कहा जाना था या नहीं इसपर बहस हो सकती है, लेकिन अधिकतर यह स्पष्ट संदेश देने में सफल होती है। कई बार यह फिल्म आपको उस वक्त के सामाजिक-राजनैतिक पहलुओं की जानकारी देगी।
यहां तक कि धूलिया ने फिल्म में सत्यता को साबित करने के लिए काफी मेहनत की और रिसर्च कॉस्ट्यूम, सेट और एंप्लॉयी की भाषा (जापानी लोग जापानी भाषा में, ब्रिटिश इंग्लिश में बात कर रहे थे, जिसके लिए कोई डबिंग नहीं की गई) आदि के बल पर वह आजादी से पहले के माहौल को ठीक उसी तरह से रीक्रिएट कर पाने में सफल रहे। हालांकि, फिल्म में तारीख, नंबरों और फैक्ट्स की भरमार है और अचानक लीड ऐक्टर के कुछ रिश्तेदार भी बीच में कूद पड़ते हैं, जिनकी अपनी एक अलग कहानी है। कहें तो जानकारियों की इतनी भरमार है, जिनकी वैसी जरूरत नहीं थी।