डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला से- प्रथम व्याख्यान

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(प्रख्यात भाषाविद्-समीक्षक)

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय


आत्मीय मित्रवृन्द! हमारे महान् साहित्यकार, समीक्षक, कवि-कवयित्री, शायर आदिक बहुत गर्व के साथ मंचों के माध्यम से कहते हैं :—–
० मैंने अभी-अभी एक ताज़ी कहानी लिखी है।
० मैं एक ताज़ी ग़ज़ल पेश करती हूँ।
० मैंने एक ताजा लघु कथा लिखी है।
० कल ही ताजा एक लेख लिखा है।
— अब प्रश्न है, क्या ये शब्द-प्रयोग शुद्ध और उपयुक्त हैं?
० यदि ‘हाँ’ तो क्यों?
० यदि ‘नहीं’ तो क्यों?
अब कृपया निम्नांकित तथ्यों पर दृष्टि निक्षेपित कीजिए :—–
१- शुद्ध शब्द ‘ताज़:’ है, जो फ़ारसी का पुल्लिंग-शब्द है। जितने भी ‘विसर्गवाले’ वैदेशिक शब्द हैं, वे ‘अरबी-फ़ारसी’ के ही हैं। हिन्दी में उच्चारण करते समय भारतीय विद्वान् ‘विसर्ग’ (:) को ‘अ’ की मात्रा मानकर उच्चारण करते हैं, जो कि अशुद्ध है।
२- ताज़: से ‘ताज़ी’ शब्द स्त्रीलिंग के रूप में नहीं बनता।
३- निस्सन्देह, ‘ताज़ी’ शब्द है, जो फ़ारसी भाषा का विशेषण-शब्द है परन्तु उसके कई अर्थ हैं; जैसे :– अरब का निवासी, अरब की भाषा, अरब का घोड़ा तथा शिकारी कुत्ता।
४- ध्यान करने-योग्य है कि कोई भी रचना ‘ताज़:’ और ‘बासी’ नहीं होती। यदि अक्षर, शब्द, वाक्य आदिक ‘ताज़:-बासी’ होते हैं तो हमारे पूर्ववर्त्ती जीव भी ‘ताज़:-बासी’ की कोटि के अन्तर्गत आयेंगे, जबकि ऐसा नहीं है।
५- कोई भी रचना ‘नयी-पुरानी’ अथवा ‘नवीन-प्राचीन’ नहीं होती; रचना ‘सदा बहार’ रहती है। आपमें से कोई इस आशय का वाक्य प्रयोग करता है : मेरे पिता जी ८० वर्ष की अवस्थावाले प्राचीन काल के व्यक्ति हैं।
अथवा
हमारे पितामह बहुत प्राचीन काल में पैदा हुए थे।
हमें ग़लत पढ़ाया जाता था और हम पढ़ते थे; ग़लत लिखते थे; लिखते हैं तथा बोलते थे; बोलते हैं। वह यह कि प्राचीन काल की बात है। अँगरेज़ी में हम पढ़ते थे; पढ़ते हैं : Long-long ago there lived a learned king. हमें इसका अनुवाद पढ़ाया जाता था और आज भी पढ़ाया जाता है : बहुत पहले की बात है, एक ज्ञानी राजा रहता था। इसे हम ऐसा नहीं पढ़ सकते : प्राचीन काल में एक ज्ञानी राजा रहता था। ऐसा इसलिए कि समय-चक्र चलता रहता है; वह कभी नया-पुराना नहीं होता।
ऐसे में, जिज्ञासाभरा प्रश्न है : फिर ‘नया-पुराना’ अथवा ‘नूतन-पुरातन’ अथवा ‘नवीन-प्राचीन’ का प्रयोग कहाँ होगा?
उत्तर है, इन शब्दों का प्रयोग ‘जड़’ पदार्थ के लिए होता है; जैसे नया वाहन-पुराना वाहन, नया घर-पुराना घर, नवीन मस्जिद, प्राचीन मस्जिद आदिक।
क्या आप कहते हैं : यह मेरी नवीन कविता है और वह प्राचीन?
६- आप कहेंगे : अब मैं आपको कुछ दिन/कुछ माह-पूर्व रची कविता सुनाता हूँ। यह मेरा हाल ही में लिखा हुआ निबन्ध है। यह मेरी सामयिक रचना है आदिक।
अब आप ऊपर के एक-एक वाक्य को समझें :——-
० मैंने अभी-अभी एक कहानी लिखी है।
० हाल ही में लिखी एक ग़ज़ल पेश करती हूँ।
० मैंने आज ही एक लघु कथा लिखी है।
मैंने कुछ दिनों पहले ही/ कल ही एक लघु कथा लिखी थी।
० कल ही एक लेख लिखा था।


(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, इलाहाबाद; २९ सितम्बर, २०१७ ई०)