बाबा साहब स्मरण के साथ-साथ अनुसरण किये जाने चाहिए


बाबा साहब को किसी वर्ग या जाति में बाँधकर उनकी असीमित महानता को सीमित नहीं किया जा सकता। पूज्यनीय बाबा साहब राष्ट्र के हर वर्ग, हर जाति, हर धर्म के लोगों के लिये आदरणीय और आदर्श हैं। यह लोकतांत्रिक राष्ट्र और इस राष्ट्र का प्रत्येक नागरिक बाबा साहब का ऋणी है और सदैव ऋणी रहेगा।

ज़रूरी यह नहीं है कि हम उनके नाम का महिमामंडन करते रहें बल्कि ज़रूरी यह है कि हम उनके आदर्शों का, उनके जीवन का और उनकी सोच का अनुसरण करें। अगर हम समाज के किसी भी जाति या धर्म के वंचितों और उपेक्षितों के प्रति सहानुभूति रखते हैं और उनके उत्थान की सोच रखते हैं, किसी से भी जाति या धर्म के आधार पर भेद नहीं रखते हैं और सबसे अधिक ज़रूरी, हम बाबा साहब द्वारा निर्धारित लोकतांत्रिक प्रणाली में सच्ची निष्ठा रखते हैं तो यकीनन हम बाबा साहब को अनुसरण करते हैं अन्यथा हम सिर्फ उनका नाम लेकर दिखावा करते हैं। सबसे आवश्यक यह है कि हम बाबा साहब के आदर्शों को जीवित रखें। श्रद्धेय बाबा साहब को कृतज्ञ राष्ट्र का नमन।

“बाबा साहब स्मरण के साथ साथ अनुसरण किये जाने चाहियें।”

–अनिल चौधरी