साहित्य संगम संस्थान के चार दिवसीय स्थापना दिवस समारोह ने प्राप्त की पूर्णता

राजेश पुरोहित, भवानीमंडी

दिल्ली- साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली स्वर्णिम स्थापना दिवस पांच जुलाई की भव्यता हेतु आयोजित चार दिवसीय कार्यक्रम का समापन वास्तव में ऐतिहासिक रहा।

संस्थान के पंचम स्थापना दिवस के चतुर्थ दिवस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि आ. सुमनेश सुमन जी, विशिष्ट अतिथि आ. छगनलाल मुथा जी, कार्यक्रम अध्यक्ष प्रो० (डाॅ०) अनूप प्रधान जी तथा मंच संचालिका आ. वंदना नामदेव जी की उपस्थिति समारोह की उत्कृष्टता का प्रतीक है। साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली के राष्ट्रीय अध्यक्ष आ राजवीर सिंह जी वक्तव्यों में जबरदस्त सकारात्मकता दिखी, उनका मानना है कि किसी भी संस्थान व संगठन में गति व प्रगति का समन्वय अत्यंत आवश्यक होता है, क्योंकि गति जहां संस्थान की नींव निर्माण करती है, वहीं प्रगति उसी नींव पर विशाल व भव्य भवन का निर्माणकर्ता है, वह इसलिए क्योंकि प्रगति नवीन तकनीकों और असीम ऊर्जा से युक्त होती है।

कार्यक्रम अध्यक्ष कुलपति सनराइज विश्वविद्यालय अलवर राजस्थान प्रो० (डाॅ०) अनूप प्रधान जी ने सभी साहित्यकारों से हिन्दी व संस्थान की सेवा हेतु अनुरोध करते हुए, आपने कहा कि सहयोग जीवन का मूल मंत्र और कीमती उपहार होता है, क्योंकि सहयोग जब किसी को दिया जाता है तो पाने वाला ही खुशहाल नहीं होता, अपितु देने वाला भी खुशहाल होता है। अतः जितना बन सके हिन्दी व संस्थान की सेवा जरूर करें। आ. प्रधान जी ने इन अमूल्य बातों के साथ-साथ संस्थान को आशीर्वचन भी प्रदान किया।

मुख्य अतिथि आ. सुमनेश सुमन जी ने मंच को संबोधित करते हुए कहा कि हमारे रास्ते जरूर अलग-अलग हो सकते हैं, मगर हमारा लक्ष्य तो एक ही है कि हमारी हिन्दी को राष्ट्रभाषा का दर्जा प्राप्त हो। इसी शुभ आशीर्वचनों के साथ आपने काव्य पाठ भी प्रस्तुत किया तथा संस्थान व संस्थान से जुड़े सभी सहयोगियों की भूरि-भूरि प्रसंशा की। कार्यक्रम में शामिल पूर्व आईपीएस अधिकारी आदरणीय प्रशांत करण जी ने युवाओं को संबोधित करते हुए स्वरचित दो खण्डीय रचना प्रस्तुत की, जिसका एक खण्ड हमारा गौरवशाली इतिहास है तो वहीं दूसरा खण्ड हमारा वर्तमान। प्रशांत करण जी की यह रचना वास्तव में अद्भुत व अद्वितीय प्रस्तुति रही।

कार्यक्रम में विशेष संबोधन के अंतर्गत आ. महागुरुदेव डाॅ राकेश सक्सेना जी, आ. राजवीर सिंह मंत्र जी, आ. तरुण सक्षम जी, आ. मिथलेश सिंह मिलिंद जी, आ. प्रमोद चौहान जी, आ. छाया सक्सेना प्रभु जी, आ. नवल किशोर जी, आ. अर्चना पांडेय/अर्चना की रचना जी, आ. वंदना श्रीवास्तव वान्या जी, आ. अनिता सुधीर आख्या जी, आ. ओऽम् प्रकाश मधुव्रत जी, आ. कुमुद श्रीवास्तव कुमुदिनी जी, आ. प्रमोद पांडेय जी, आ. ऐश्वर्या सिन्हा चित्रांश जी, आ. प्रेमलता चौधरी जी, आ. डाॅ. पंकज रुहेला जी, आ. धर्मराज देशराज जी, आ. शिव शंकर लोध राजपूत आदि ने अपने वक्तव्य व शुभ आशीर्वचनों को प्रेषित किया। संस्थान के वार्षिकोत्सव मीडिया सहयोगियों में आ. अनुज मिश्रा जी, आ. रवि प्रकाश गुप्ता जी, आ. राजेश शर्मा पुरोहित जी, आ. नवीन भट्ट नीर जी, आ. हेमराज पारिक जी, आ. अमित कुमार जी , आ. सत्यवान अवस्थी जी, आ. अनुज मिश्र अंटु जी आदि का सहयोग सराहनीय रहा, जिस कारण संस्थान की ऐतिहासिकता का प्रचार-प्रसार देश ही नहीं विदेशों में भी देखने को मिला।