श्याम कुमार तिवारी :
बांगरमऊ : विकासखंड बांगरमऊ के ग्राम वैरी शादीपुर मे रविवार से आरम्भ हुई सात दिवसीय श्रीमद्भागवतकथा के चौथे दिन कथाव्यास द्वारा भगवान श्रीकृष्ण के जन्म की कथा सुनायी गयी। इस दौरान बड़ी संख्या में उपस्थित श्रद्धालुओं ने जयकारे लगाते हुए कथा का रसपान किया।
ग्राम वैरी शादीपुर में आयोजित सात दिवसीय श्रीमद्भागवतकथा में दिनों-दिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है। कथाव्यास आचार्य ईश्वरचंद तिवारी के मुखारबिंदु से श्रद्धालुजन कथा का रसपान कर रहे हैं। कथा में बुधवार को चौथे दिवस नित्य की भांति कथा की शुरूआत भागवतआरती के साथ हुई। श्री कृष्णजन्म की कथा कहते हुए कथावाचक ने बताया कि कंस की चचेरी बहन देवकी का विवाह वसुदेव के साथ हुआ था। देवकी की विदाई के दौरान आकाशवाणी हुई कि देवकी के आठवें पुत्र के द्वारा कंस का वध होगा। आकाशवाणी सुनकर कंस ने देवकी को मारने के लिए तलवार निकाल ली। वसुदेव ने कंस से क्षमादान की याचना की और यह वचन दिया कि देवकी की सभी संताने वह जन्म के बाद कंस को सौंप देगा। कंस ने वसुदेव और देवकी को कठोर कारावास दे दिया। वचनानुसार वसुदेव और देवकी एक-एक कर अपनी सन्ताने कंस को सौंपते गये। कंस सभी का वध करता गया। अष्टम सन्तान के रूप में स्वयं परमेश्वर ने देवकी के गर्भ से जन्म लिया। कथावाचन ने आगे सुनाया कि जन्म के बाद कैसे प्रभु की लीला के स्वरूप सभी पहरेदार सो जाते हैं और वसुदेव की बेड़ियाँ स्वतः टूट जाती हैं, फिर वसुदेव बालकृष्ण को लेकर वृंदावन की ओर प्रस्थान करते हैं और उन्हें नंद के यहाँ छोड़कर उनके घर जन्मी कन्या को लेकर मथुरा वापस आ जाते हैं।
लीलाओं से परिपूर्ण श्रीकृष्ण जन्म की कथा सुनकर भक्त भावविभोर हो गए। श्री कृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया और ‘नंद के आनंद भयो जय कन्हैयालाल की’ के जयकारों से पूरा पाण्डाल गूंज उठा। श्री कृष्णजन्म के उपरांत भक्तों को प्रसाद वितरित किया गया।
कथा आयोजक दंपति ने बताया कि सात दिवसीय भागवत कथा का समापन 11 फरवरी दिन शनिवार को होगा, अगले दिन 12 फरवरी को भंडारे का आयोजन होगा। इस अवसर पर मुख्य आयोजक कृष्ण कुमार द्विवेदी व शशि द्विवेदी के साथ-साथ मनोज तिवारी, सुनील, राजू, मेघनाथ व सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालुगण मौजूद रहे।