आज़ादी के अमृत महोत्सव के अवसर पर हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग और शैक्षिक प्रतिष्ठान ‘एक्सीड-समूह’ के संयुक्त तत्त्वावधान मे १३ अगस्त को सम्मेलन के सभागार मे ‘स्वतन्त्रता का मूल्य और हम’ विषयक एक बौद्धिक परिसंवाद का आयोजन भाषाविज्ञानी और समीक्षक आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय की अध्यक्षता मे किया गया। स्वागताध्यक्ष एक्सीड-समूह के संस्थापक कुलदीप मिश्र ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा, “गर्व का विषय है कि हम आज आज़ादी का अमृत महोत्सव आयोजित कर रहे हैं। इस अवसर पर हम आप समस्त अतिथि और श्रोतागण का हार्दिक स्वागत करते हैं।

राजनेता डॉ० के० पी० श्रीवास्तव ने कहा, “आज़ादी की लड़ाई के समय हमारे ही सिपाही हमारे विरुद्ध लड़ रहे थे, जो अँगरेजों की विभाजनकारी नीति को पुष्ट कर रहे थे। हम यदि संघटित रहते तो ग़ुलामी का प्रश्न ही नहीं था।”
अध्यक्षता करते हुए आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने इलाहाबाद के आज़ादी-परिदृश्य को जीवन्त करते हुए कहा, “बहुत कम लोग जानते हैं कि पराधीनता की अवधि मे देश मे सबसे पहले इलाहाबाद १० दिनो के लिए आज़ाद हुआ था। इलाहाबाद मे स्वातन्त्र्य-समर का सूत्रपात कौशाम्बी के मौलवी लियाक़त अली के नेतृत्व मे खुसरोबाग़ से हुआ था। वहाँ से संगम-स्थित अकबर के क़िले मे अँगरेज़ों को ललकारते हुए हज़ारों की संख्या मे भारतीय विद्रोही घुस गये। वहाँ उन्होंने भीषण मारकाट मचाकर अँगरेज़ी सरकार की नीवँ हिला दी थी। आगे चलकर, स्वराज्य भवन और आनन्द भवन मे देश को आज़ादी दिलाने के लिए महात्मा गांधी और नेहरू-परिवार के नेतृत्व मे रणनीतियाँ बनायी जाने लगीं। यहाँ के विद्यार्थी, शिक्षक, आबाल वृद्ध नर-नारी का क्रान्ति के प्रति जोश प्रभावकारी था।”
डॉ० हरिनारायण दुबे ने बताया, “आज हम जिस आज़ादी का उपभोग कर रहे हैं, उसके पीछे न जाने कितने भारतीय विद्रोहियों, क्रान्तिकारियों तथा स्वतन्त्रतासेनानियों ने अपने जीवन उत्सर्ग कर दिये थे।” प्रधानमन्त्री विभूति मिश्र ने सभी को अपना आशीर्वाद दिया। धनंजय चोपड़ा ने कहा, “महात्मा गांधी, मदनमोहन मालवीय, राजर्षि टण्डन आदि ने समझ लिया था कि जब तक हम भाषा और संस्कृति के स्तर पर सुदृढ़ नहीं होंगे तब तक अँगरेज़ों का दमन नहीं कर सकेंगे।” विधायक हर्षवर्द्धन वाजपेयी ने आज़ादी के बाद की स्थितियों पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला था।
इसी अवसर पर समारोह-अध्यक्ष आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, शिक्षक और लेखक कुलदीप मिश्र तथा प्रबन्धमन्त्री कुन्तक मिश्र ने मंचस्थ अतिथियों– विभूति मिश्र, श्यामकृष्ण पाण्डेय, हरिनारायण दुबे, रामकिशोर शर्मा, के०पी० मिश्र, हर्षवर्द्धन वाजपेयी के अतिरिक्त किरणबाला पाण्डेय, चन्द्रप्रकाश पाण्डेय, डॉ० एम० पी० तिवारी, नरेन्द्रदेव पाण्डेय, धनंजय चोपड़ा, नरेशचन्द्र शुक्ल, गजाधर मिश्र, त्रिभुवन प्रसाद पाण्डेय, कृष्णचन्द्र शुक्ल, देवी प्रसाद कुँवर तथा रमानिवास मिश्र को प्रशस्ति-पत्र और अंगवस्त्र भेंटकर ‘हिन्दीभाषा-गौरव-सम्मान’ से आभूषित किया।
समारोह का संचालन श्यामकृष्ण पाण्डेय ने किया। डॉ० रामकिशोर शर्मा ने आभार-ज्ञापन किया।
अन्त मे समस्त अभ्यागतगण ने राष्ट्रगायन किया।