इंसानियत की गवाह बनी बंदर की शव यात्रा

                 यूं तो वह बंदर की प्रजाति का था लेकिन जब उसने बीमारी से दम तोड़ा तो लोगों के आंखों में आंसू छलक उठे और उसके मृत शरीर की बाकायदा शव यात्रा निकालकर उसको जमीन में दफन कर दिया।बंदर की बीमारी से मौत के बाद शव यात्रा में महज हिन्दू ही नही बल्कि मुस्लिम भी शामिल हुए जिन्होंने साबित कर दिया कि सारे जहाँ से अच्छा हिंदुस्तान हमारा।
              आज हम आपको एक ऐसे इंसानियत के पहलू से रूबरू कराने जा रहे हैं जिसे देखने के बाद शायद आपको लगेगा कि सच में मेरा भारत महान है और यहां के रहने वाले लोग इंसानियत के पहरेदार है।यह सच है कि जहां एक तरफ कई देशों में इंसान ही इंसान के खून का प्यासा हुआ है वही भारत जैसे देश में आपको इंसानियत की मिसाल है जगह जगह देखने को मिल जाएगी आपको महसूस होगा कि सच में भारत में इंसानियत आज भी जिंदा है।
            जहां एक तरफ कई देशों से मारने और काटने की खबरें आजकल आम हो गई है वही विश्व में विश्व गुरु का स्थान रखने वाला भारत और उसके लोग अनूठी मिसाल पेश करते नजर आते हैं यहां एक बंदर के मर जाने पर आसपास के वाशिंदे उसके लिए इंसानों जैसा व्यवहार करते नजर आते हैं आपको बताना चाहेंगे हरदोई के आशा नगर में बीमारी के बाद एक बंदर की मृत्यु होने के बाद वहां की जनता ने उसकी अंतिम यात्रा निकालकर इंसानों  की तरह उसे  दफनाकर अनोखी इंसानियत की मिसाल पेश की है।