जज़्बातों का समन्दर

अगर जज़्बातों का ये समन्दर न होता
आदमजादे भी यहाँ जानवर बन जाते।
कोई भी किसी के लिए परेशान न होता
किसी भी काम के न होते रिश्ते-नाते।
न दिल मे किसी के लिए नफ़रत होती
और न ही दुनिया मे किसी का प्रेम पाते।
न किसी के लिए रोते न किसी को रुलाते।
अजब है रिश्तों का मकड़जाल दुनिया मे
पाने की चाहत मे हम सिर्फ़ खोते ही जाते।