सरकारी अध्यापक पढ़ा रहे ट्यूशन, कैसे सम्भले स्कूलों के बच्चों का भविष्य ?

बदायूं में सरकारी अध्यापक सरकार के आदेशों की उड़ा रहे धज्जियां, धड़ल्ले से चला रहे अवैध कोचिंग सेण्टर

बदायूं : सरकारी अध्यापकों का हाल किसी से नहीं छुपा है । सरकारी शिक्षा व्यवस्था आज इतनी लाचार और पटरी से उतरी हुई है कि शायद पहले कभी ना थी । आज शिक्षकों ने शिक्षा को रोजगार बना लिया है । यही कारण है कि सरकारी शिक्षक होते हुए भी वह स्कूल टाइम में वहाँ छात्रों को नहीं पढ़ाना चाहते हैं जिस स्कूल में वह शिक्षण कार्य करते हैं । बल्कि उन्हें वह छात्र पसंद हैं जो पैसे देते हैं । यही कारण है सरकारी स्कूलों की व्यवस्था पटरी से उतर चुकी है और अभिभावक सरकारी स्कूलों में पढ़ाई ना होने के कारण अपने बच्चों का ऐडमिशन प्राइवेट स्कूलों में करा रहे हैं । जिसका फायदा सीधा-सीधा प्राइवेट स्कूलों को मिलता है । इसी का फायदा उठाकर वह अभिभावकों से मनमाना पैसा वसूलते है ।

सरकारी स्कूलों में पढ़ाई ना होने के कारण शिक्षा का व्यवसायीकरण हो गया है । उसकी पूरी जिम्मेदारी सरकारी शिक्षकों की है । जो या तो समय से स्कूल नहीं जाते या फिर ट्यूशन पढ़ाने पर ही जोर देते हैं । सरकारी शिक्षकों का पूरे जिले में कोचिंग का व्यापार धड़ल्ले से चल रहा है । जिसके कारण गरीब अभिभावकों की जेब ढंग से काटी जा रही है । अभिभावकों का कहना है कि चाहे प्राथमिक स्कूल हों या इंटर कॉलेज सभी में कोचिंग का व्यापार फल-फूल रहा है । क्यों ना इनका भी प्राइवेटीकरण कर दिया जाए और इनको मानदेय दिया जाए ।

लगता है शिक्षकों को भारी भरकम सैलरी भी कम पड़ती पड़ती है । क्यों न ऐसे शिक्षकों को नौकरी से निकाल दिया जाए जो कोचिंग सेंटर का व्यापार करते हैं । यह हाल पूरे जिले का है सरकार की तरफ से भी इनकम हो रही है और बच्चो की कोचिंग से भी इनकम हो रही हैं । भाजपा सरकार बनते ही आदेश आरा है कि कोई भी सरकारी अध्यापक कोचिंग सेंटर नहीं चलाएगा । लेकिन बदायूं के अध्यापक सरकार के आदेशो की धज्जिया उड़ा रहे हैं और यह हाल यह है कि बिना रजिस्ट्रेशन के अनेक कोचिंग सेंटर चल रहे हैं । कई संगठनों ने धरना भी दिया फिर भी इन अध्यापकों पर कोई असर नही पड़ा ।