डॉ.अन्नपूर्णा सिसोदिया ‘अमन’-
जिंदगी आग है, संघर्ष की तपते रहिये
हर लपट से कुंदन बन निखरते रहिये ।
अरुणिमा की रेख बन करती उजली राहें
जिंदगी भोर है, हर घडी चलते रहिये ।
सुगंध सी फैलती हर मन के आंगन में
जिंदगी हवा है, प्रेम से बहते रहिये ।
पंछियों के परों को उड़ने का हौसला देती
जिंदगी आकाश है, ऊंचाई पर बढ़ते रहिये ।
खुद को मिटा, करती रौशन अंधेरों को
जिंदगी मोम है, हौले से पिघलते रहिये ।
रुकना यहाँ मरण की निशानी है
जिंदगी राह है, अनवरत चलते रहिए ।
थकन से चूर हुए मन को सुकून देती
जिंदगी सांझ है, बेफिक्र हो ढलते रहिये ।
दिल के जज्बातों को समेटे दामन में
जिंदगी प्रेम है संवरते कभी मिटते रहिए ॥