हरदोई डीएम ने किया आंगनवाड़ी केंद्र का आकस्मिक निरीक्षण

आंगनवाड़ी की जमीनी हकीकत जानने जा पहुंची हरदोई से 25 किमी दूर गांव

आज अचानक मुख्यालय से लगभग 25 किमी दूर एक आंगनवाड़ी केंद्र पर डीएम शुभ्रा सक्सेना के पहुंचने पर हड़कंप मच गया। निरिक्षण अचानक होने से आंगनवाड़ी कार्यकत्रियों ओर सुपरवाइजरों के बीच हड़कंप की स्थिति देखने को मिली। डीएम ने सबसे पहले गांव की आने वाली गर्भवती महिलाओ से जानकारी की और गांव की आशा और सुपरवाइजर से उनके स्वास्थ्य की जानकारी ली। डीएम के अचानक आंगनवाड़ी केंद्र पर पहुंचने से जिला कार्यक्रम अधिकारी भी मौके पे पहुंच गई।

सुबह 10 बजे डीएम शुभ्रा सक्सेना हरदोई से 25 किमी दूर बावन ब्लाक के गांव मस्तीपुर खलीफा पहुंच गई। जहाँ उन्होंने मौजूद रजिस्टर को चेक किया उसके बाद बच्चों से पूछा कि बच्चों कुछ खाया, कुछ मिला अभी उसके बाद उन्होंने पंजीरी के बारे में पूछा और जिला कर्यक्रम अधिकारी से बोली पंजीरी दिखाइए। उसके बाद उन्होंने रजिस्टर में अंकित विपासी को आवाज दी, विपासी की माँ से बोली ये ढाई साल की है, आप कुछ खिलाती नहीं हो इसे। माँ बोली खिलाती हूँ, दाल चावल, रोटी तो डीएम साहब बोली दूध नहीं पिलाती हो। वो जिला कर्यक्रम अधिकारी से पूछती है ढाई साल में कितना वजन होता है बच्चे का , जिला कार्यक्रम अधिकारी इधर उधर देखती है ,क्यों कि अगर काम किया होता तो पता होता । अचानक पीछे से आवाज आती है 12 kg । तो डीएम महोदया कहती है कि इस हिसाब से तो बहुत कम वजन है। फिर डीएम उस बच्चे के साथ अन्य बच्चों का वजन अपने सामने करवाती है। आंगनवाड़ी में आये हुए बच्चों का वजन कम मिलने पर , अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि दोबारा ये सब नहीं होना चाहिए ।

इसके बाद एक रजिस्टर देखकर कार्यकत्री से पूछती है कि तुम ये बताओ इस रजिस्टर में तीन साल से ऊपर वाले बच्चे हैं या फिर नीचे वाले। कार्यकत्री चुप। फिर उससे पूछा की टोटल कितने बच्चे है। वो बोली अंकित किया है । डीएम ने पूछा कहा रजिस्टर है तो वह रजिस्टर ढूढ़ने लगती है। जब आंगनवाड़ी केंद्र पर आयी हुई महिलाओं से डीएम शुभ्रा सक्सेना ने पूछा कि क्या आप लोगो को यहां से दवा की गोलियां मिलती हैं, कई नाम वो बोलती है । लोग बताते है की ये सब आई नहीं है। गांव से आयी हुई महिलाये पहली बार अपने गांव में डीएम की उपस्थिति देख अचम्भित भी है। क्यों की हरदोई के इतिहास में अभी तक ऐसा कोई डीएम नहीं आया जो गांव -गांव जाकर सरकारी योजनाओ की तहकीकात खुद करे। फिलहाल हरदोई में एक बात नीचे के कर्मचारी जान गए है की अगर नौकरी की है तो अब जिम्मेदारी से काम करना होगा ।