शुद्ध उच्चारण और लेखन आचरण की सभ्यता को प्रकट करते हैं– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

हटा शासकीय महाविद्यालय की कर्मशाला सम्पन्न

मध्यप्रदेश राज्य के दमोह ज़िले के अन्तर्गत हटा-क्षेत्र के शासकीय महाविद्यालय मे आयोजित द्विदिवसीय शैक्षणिक कर्मशाला (२१-२२ दिसम्बर) का कल (२२ दिसम्बर) समापन-अवसर था।

इस अवसर पर दो दिनो से लगातार विद्यार्थियों और अध्यापक-अध्यापिकाओं को व्याकरण और भाषाविज्ञान का प्रशिक्षण करनेवाले प्रयागराज से पधारे भाषाविज्ञानी और समालोचक आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने मुख्य अतिथि के रूप मे अपने आचार्यत्व और पाण्डित्य से प्रभावित किया। उन्होने व्याकरण के आरम्भिक अंग़ों, सामान्य और विशेष अंगों तथा उनके उपांगों को सोदाहरण बोल और लिखकर सिखाया। काल के रूप और रूपभेद उदाहरण-सहित समझाये। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को डिजिटल बोर्ड पर उन शब्दों को लिखवाये, जिन्हें अध्यापक और विद्यार्थी शुद्ध उच्चारण कर लेते हैं; परन्तु शुद्ध वर्तनी (अक्षरी) के साथ लिख नहीं पाते।

उन्होंने वर्ण-अक्षर, जन्मदिन, जन्मतिथि, जयन्ती, आलोचना-निन्दा, रचना-निर्माण, अनुस्वार, अनुनासिक, पंचमाक्षर, अंकों को शुद्ध शब्दों मे लिखाये।

उन्होंने मिष्ठान्न को ग़लत बताते हुए, ‘मिष्टान्न’ को ही शुद्ध बताया। कहाँ पर और क्यों ‘आभारज्ञापन’, ‘धन्यवाद’, ‘कृतज्ञता’ तथा साधुवाद का प्रयोग किया जाता है, इन्हें अनेक उदाहरणों के माध्यम से समझाया। आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने समस्त प्रशिक्षणार्थियों को हिन्दी-हिन्दीशब्दकोश क्रय करके उसका अधययन करना होगा।

द्वितीय और अन्तिम सत्र मे गढ़कोटा, सागर (म० प्र०) के शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय के हिन्दी-विभागाध्यक्ष डॉ० घनश्याम भारती जी ने हिन्दी-साहित्य के इतिहास पर प्रभावकारी व्याख्यान किया था। उन्होंने साहित्य का सोदाहरण कालविभाजन किया था।

अब प्रशिक्षणार्थियों क़ो सहभागिता-प्रमाणपत्र वितरण करने की बारी थी। मुख्य अतिथि आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने समस्त प्रशिक्षणार्थियों को सहभागिता-प्रमाणपत्र का वितरण किया था।

इस द्विदिवसीय कर्मशाला के आयोजन से समापन तक की सारी व्यवस्था करनेवाली, आतिथ्य सत्कार में पारंगत महाविद्यालय में हिन्दी की सहायक प्राध्यापक आशा राठौर की प्रतिबद्धता उजागर हुई। उन्होंने एक संयोजिका और संचालिका का भूमिकानिर्वहण दक्षतापूर्वक किया। अन्त मे, राष्ट्रगान के साथ कर्मशाला का समापन हुआ।