हिन्दी बोलेँ, हिन्दी बतायेँ और हिन्दी को गौरवान्वित करेँ– न्यायमूर्ति शमशेरी

हिन्दी साहित्य सम्मेलन हिन्दी-दिवस-आयोजन

‘हिन्दी साहित्य सम्मेलन प्रयाग की ओर से हिन्दी-दिवस के अवसर पर १४ सितम्बर को एक समारोह का आयोजन किया गया। आयोजन मे उत्तरप्रदेश लोकसेवा आयोग के पूर्व-अध्यक्ष डॉ० कृष्णबिहारी पाण्डेय अध्यक्ष थे और इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशीरी मुख्य अतिथि।

कार्यक्रम के आरम्भ मे विगत दिवस सम्मेलन-संग्रहालय मे आयोजित हिन्दी-भाषा-विषयक लिखित निबन्ध-प्रतियोगिता मे प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय स्थान प्राप्त करनेवाले विद्यार्थियोँ को प्रमाणपत्रसहित पारितोषिक के रूप मे धनराशि प्रदान की गयी तथा समस्त प्रतियोगियोँ को सहभागिता प्रमाणपत्र वितरित किया गया। उसके पश्चात् भाषाविज्ञानी आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय के सम्पादकत्व मे प्रकाशित सम्मेलन के पाक्षिक समाचारपत्र ‘राष्ट्रभाषा संदेश’ के ‘हिन्दी-भाषा-उत्थान-विशेषांक’ का लोकार्पण सम्मेलन-संरक्षक विभूति मिश्र, प्रधानमन्त्री कुन्तक मिश्र, न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशीरी, प्रो० कृष्णबिहारी पाण्डेय, आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय तथा उमेशचन्द्र गणेश केसरवानी ने किया। इस अवसर पर गिरिजाशंकर शुक्ल ‘गिरीश’ (रीवा), डॉ० रामानन्द शर्मा (मुरादाबाद), डॉ० सुशीलकुमार पाण्डेय ‘साहित्येन्दु’ (सुलतानपुर), डॉ० दिनेशचन्द्र अवस्थी (लखनऊ) तथा डॉ० अखिलेश निगम ‘अखिल’ (लखनऊ) को ‘साहित्यमहोपाध्याय’ मानद सम्मान से आभूषित किया गया। सम्मानित समस्त साहित्यकारोँ ने अपने विचार व्यक्त किये।

विशिष्ट अतिथि महापौर उमेशचन्द्र गणेश केसरवानी ने बताया, “आज जिस प्रकार से क्षेत्रवाद, भाषावाद की समस्या उभर रही है, वह चिन्ताजनक है। हिन्दी रोज़गार का माध्यम बने, इससे हम इस चिन्ता से उबर सकते हैँ। हिन्दी साहित्य सम्मेलन ऐसी भूमि है, जहाँ से हिन्दी को शक्ति मिलती है।” महापौर ने सम्मेलन के सम्मुख एक अन्तरराष्ट्रीय आयोजन करने का प्रस्ताव किया है और यथासम्भव सहायता करने के प्रति वचनबद्ध भी हुए हैँ।

मुख्य अतिथि न्यायमूर्ति सौरभ श्याम शमशेरी ने कहा, “उच्चारण से ही शब्द का भाव प्रकट हो जाता है। सरल शब्दोँ मे अभिव्यक्ति करनी चाहिए। आज हमे हर दिन हिन्दी का पठन अवश्य करना चाहिए और लेखन भी। अन्त मे यही कहूँगा कि हिन्दी बोलेँ; हिन्दी बतायेँ तथा हिन्दी को गौरवान्वित करेँ।”

अध्यक्षीय सम्भाषण करते हुए प्रो० कृष्णबिहारी पाण्डेय ने कहा,”बहुत लोग यह आड़ लेते हैँ कि विज्ञान-प्रौद्योगिकी के क्षेत्र मे हिन्दी मे लेखन नहीँ कर सकते, जोकि ग़लत है। आज हिन्दी मे विज्ञान-लेखन किया जा रहा है। ऐसा सोच उन लोग का होता है, जो हिन्दी के विरुद्ध साज़िश करते हैँ। हमे हीन भावना से ऊपर उठना होगा। हिन्दी-भाषा को समृद्ध करने के लिए हमे सभी भारतीय भाषाओँ को साथ लेकर चलना होगा।”

श्यामकृष्ण पाण्डेय ने समारोह का संचालन और डॉ० रामकिशोर शर्मा ने आभार-ज्ञापन किया। अन्त मे, समस्त अभ्यागतवृन्द ने राष्ट्रभक्ति के प्रति अपनी श्रद्धा प्रदर्शित की थी।