सई नदी की करुण कथा : पौराणिक और ऐतिहासिक नदी मर रही है

कोरिया को पराजित कर, भारतीय महिला-हॉकीदल फ़ाइनल मे पहुँचा

● समीक्षक― आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

आज (४ नवम्बर) राँची, झारखण्ड मे कप्तान एवं गोलरक्षिका सविता पूनिया के नेतृत्व मे खेली गयी ‘झारखण्ड महिला एशियाई हॉकी-चैम्पियनशिप ट्रॉफ़ी– २०२३’ के सेमी फ़ाइनल मे भारत ने विश्व की बारहवीं वरीयता-प्राप्त कोरिया को २-० के अन्तर से पराजित कर, प्रतियोगिता के फ़ाइनल मे प्रवेश कर लिया है। भारत की ओर से दोनो गोल क्रमश: सलीमा टेटे और वैष्णवी विट्ठल फाल्के ने किया था।

स्मरणीय है कि भारत-कोरिया के मध्य अब तक २२ बार मुक़ाबले हो चुके हैं, जिनमे से भारत को मात्र ७ मुक़ाबलों मे सफलता मिली है, जबकि कोरिया को १२ बार। उनमे से ३ मुक़ाबले बिना हार-जीत के रहे।

अब भारत का फ़ाइनल मे कल (५ नवम्बर) जापान के साथ मुक़ाबला होगा, जिसने चीन को पराजित कर, फ़ाइनल मे स्थान पक्का किया है।

भारतीय महिला खेलाड़िनो ने आक्रामक खेल दिखाया था, जिसके परिणामस्वरूप आक्रामक भारतीय खेलाड़िन सलीमा टेटे ने मुक़ाबले के आरम्भ के ११वें मिनट मे मैदानी गोल कर भारत के लिए १-० की अग्रता ले ली थी। दूसरे हाफ़ मे वैष्णवी ने पेनाल्टि कॉर्नर को गोल मे तब्दील कर, भारत को २-० के अंक पर पहुँचा दिया था।

भारतीय दल ने पहले दो हाफ़ मे प्रभावकारी प्रदर्शन किये थे, जबकि बाद के ३० मिनट के खेल मे ऐसा लग नहीं रहा था कि भारतीय दल गोल करने के लिए खेल रहा हो, कारण कि ‘डी’ मे दिये गये कुछ बहुत अच्छे पास खेलाड़ियों ने व्यर्थ कर दिये थे। इतना ही नहीं, उत्तरार्द्ध के ३० मिनट (तीसरे और चौथे हाफ़) मे सर्वाधिक पेनाल्टि कॉर्नर भारतीय दल को मिले थे, जो परिणामरहित रहे। दूसरी ओर, कोरिया की खेलाड़िने दूसरे और तीसरे हाफ़ मे सजग और सतर्क दिख रही थीं; परन्तु उनसे भी अधिक सतर्क भारतीय गोलरक्षिका सविता रहीं, जिनकी प्रत्युत्पन्नमति के चलते, कोरिया की खेलाड़िनो-द्वारा दो गोल करने से बचा लिये गये। एक स्थिति ऐसी भी आयी थी, जब भारतीय दल केवल ९ खेलाड़िनो के साथ खेल रहा था और कोरिया १० खेलाड़िनो के साथ, कारण कि उन खेलाड़िनो को ‘पीला कार्ड’ दिखाये गये थे, जिसके कारण वे सज़ा के तौरपर पाँच मिनट के लिए मैदान से बाहर कर दी गयी थीं।

तीसरे हाफ़ मे कोरिया-दल पहले और दूसरे हाफ़ की तुलना मे बेहतर प्रदर्शन करता दिख रहा था। उसे पेनाल्टि कॉर्नर भी मिले थे; परन्तु भारतीय दल-द्वारा बचाव की कुशल रणनीति के चलते, उन्हें गोल मे तब्दील न कर सका था।

१५-१५ मिनट के चारों हाफ़ मे भारतीय दल की रक्षात्मक और आक्रामक पंक्तियों ने कोरिया की एक न चलने दी थी, जबकि दोनो ही पंक्तियों को सँभाल रहीं खेलाड़िनो की लापरवाही भी सामने आयी थी।

दोनो ही दल की खेलाड़िने चोटिल भी हुई थीं, जिनमे सर्वाधिक कोरिया की खेलाड़िने थीं। उनकी एक खेलाड़िन को गम्भीर चोट आयी थी, जिसके कारण उसे मैदान से बाहर लाना पड़ा था।

भारतीय और कोरियाई खेलाड़िनो को ‘पेनाल्टि कॉर्नर’ को गोल मे बदलने के लिए अभी बहुत अभ्यास और तकनीकि की ज़रूरत है।

भारत के लिए धनात्मक पक्ष यह है कि उसने ‘लीग मैच से लेकर सेमी फ़ाइनल तक’ की यात्रा ‘अजेय’ रूप मे पूर्ण की है। भारतीय दल को ‘पेनाल्टि कॉर्नर’ लेने और गोल करने की रणनीति मे बदलाव लाना होगा, कारण कि थोड़ी-सी भी लापरवाही उसके लिए भारी पड़ सकती है। उसे छोटे-छोटे पास देकर गोलपोस्ट तक गेंद को भेजना होगा और सहयोगी खेलाड़िनो-द्वारा दिये गये पासों को सँभालकर उन्हें परिणामदायक स्थिति तक पहुँचाना होगा।

अब देखना है, भारतीय हॉकी-दल फ़ाइनल मे किस रणनीति के साथ उतरता है?

(सर्वाधिकार सुरक्षित― आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ४ नवम्बर, २०२३ ईसवी।)