
● समीक्षक― आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
आगामी १५ नवम्बर को मुम्बई के वानखेड़े-मैदान मे खेले जानेवाले पुरुष-विश्वकप-क्रिकेट- प्रतियोगिता– २०२३ के सेमी फ़ाइनल मे न्यूज़ीलैण्ड के विरुद्ध भारत की जीत लगभग दिख रही है; क्योंकि शुभमन गिल, श्रेयस अय्यर, के० एल० राहुल तथा रवीन्द्र जडेजा की बल्लेबाज़ी मे बहुत निखार आ चुका है, जबकि रोहित शर्मा और विराट कोहली का प्रदर्शन मैच को किसी भी स्तर तक पहुँचा सकता है; वहीं यदि सूर्यकुमार यादव चल पड़े तो रनसंख्या परवान चढ़ सकती है। यदि गिल और रोहित विफल होते भी हैं तो मध्यम क्रम के बल्लेबाज़ तस्वीर बदल सकते हैं, जैसा कि हमने कुछ मैचों मे देखे भी थे। भारतीय दल यदि पहले बल्लेबाज़ी करता है तो उसे ‘पहले पॉवर प्ले’ मे न्यूनतम ६० रनो का योगदान करना होगा।
शुभमन गिल और श्रेयस अय्यर मे वह क्षमता है, जो खड़े-खड़े छक्के लगा सकते हैं; इसके पीछे इस तरह से छक्के लगाने मे दोनो की शारीरिक ऊँचाई का योगदान भी है। के० एल० राहुल की बल्लेबाज़ी देखते ही बन रही है।
भारत के तीनो तीव्र गेंदबाज़ :– बुमराह, सिराज तथा शमी/ शामी अपनी इनस्विंग, आउटस्विंग, यॉर्कर तथा नकल गेंदबाज़ी से अपने प्रतिद्वन्द्वियों को दिन मे तारे दिखा चुके हैं। यदि तीव्र गेंदबाज़ी मे कुछ धार की कमी दिखती है तो उसे अपनी चक्करवाली गेंदबाज़ी करके दोनो स्पिनर :– रवीन्द्र जडेजा और कुलदीप यादव बल्लेबाजों को ‘चक्करघिन्नी’ बना सकते हैं। इसमे विकेटरक्षक और क्षेत्ररक्षकों की विशेष भूमिका रहेगी; क्योंकि इस विश्वकप मे भारतीय क्षेत्ररक्षण सर्वोत्तम रहा है।
न्यूज़ीलैण्ड के प्रमुख बल्लेबाज़ों :– डेवोन कान्वे, केन विलियम्सन, विल यंग, डेरिल मिचेल, जिमी निशम तथा रचिन रवीन्द्र पर भारतीय गेंदबाज़ों की निगाहें रहेंगी। हमे नहीं भूलना चाहिए कि न्यूज़ीलैण्ड के युवा बल्लेबाज़ रचिन रवीन्द्र इस विश्वकप-क्रिकेट-प्रतियोगिता मे सर्वाधिक रन बनानेवालों मे तीसरे स्थान पर दिख रहे हैं। उन्होंने ९ मैचों मे ५६५ रन बनाये हैं, जो उनकी तकनीकी और आक्रामक बल्लेबाज़ी का परिचायक है। यदि लॉकी फ़र्ग्युसन, टिम साउदी तथा ट्रेण्ट बोल्ट की गेंदों पर भारतीय बल्लेबाज़ों ने गेंदों के स्वभाव को अच्छी तरह से समझने के बाद प्रहारात्मक रुख़ इख्तियार (‘अख़्तियार’ अशुद्ध है।) कर लिया तो उसकी विजय सुनिश्चित रहेगी, जिसकी गूँज फ़ाइनल मैच मे उठती रहेगी।
सेमी फ़ाइनल के लिए दो नियम शामिल किये गये हैं। यदि सेमी फ़ाइनल मैच वर्षा से पूरी तरह से प्रभावित होते हैं तो उन्हें ‘रिज़र्व डे’ के अन्तर्गत अगले दिन पूरा किया जायेगा। यदि ‘रिज़र्व डे’ मे वर्षा होती है और मैच धुल जाते हैं तो ‘अंकतालिका’ मे दोनो दलों की स्थिति के आधार पर तालिका मे शीर्ष पर दिखनेवाले दल को विजेता घोषित कर दिया जायेगा। इस तरह से भी भारतीय दल अंक और रन-दर की दृष्टि से सबसे आगे है, इसलिए इस आधार पर भी भारत की विजय सुनिश्चित है। भारतीय दल ने ९ मैच खेलकर अपराजेय क्रम बनाये रखते हुए, १८ अंक अर्जित कर लिये हैं, जबकि उसका ‘नेट रन-रेट’ + २.५७० है, जो कि अंक-तालिका मे शीर्ष पर है। यदि हम तुलना-स्तर पर न्यूज़ीलैण्ड के अंकों को देखते हैं तो उसके अंक मात्र १० हैं, जबकि उसका ‘नेट रन-रेट’ मात्र +०.७४३ है और वह ९ मैचों मे से ५ मैच जीत चुका है और ४ मैचों मे उसे हार का सामना करना पड़ा है, जिसके कारण वह अंकतालिका मे चौथे स्थान पर है। ऐसा बहुत ही कम देखा गया है कि सेमी फ़ाइनल मे खेलनेवाले दोनो दलों की रन-संख्या बराबर की दिखती हो। यदि ऐसी स्थिति आयी भी तो विजेता-दल का निर्णय ‘सुपर ओह्वर’ से होगा। यदि ‘सुपर ओह्वर’ भी बराबरी पर रहा तो एक और ‘सुपर ओह्वर’ मैच खेला जायेगा। इस प्रकार विजेता-दल का निर्णय इस ‘अतिरिक्त सुपर ओह्वर’ से किया जायेगा।
स्मरणीय है कि न्यूज़ीलैण्ड-दल ने विराट कोहली के नेतृत्व मे वर्ष २०१९ मे मैनचेस्टर मे खेले गये सेमी फ़ाइनल मे पहले बल्लेबाज़ी करते हुए, ५० ओह्वरों मे २३९ रन बनाये थे; परन्तु भारतीय दल के सभी खेलाड़ी २२१ रन बनाकर आउट हो गये थे; रवीन्द्र जडेजा ने सर्वाधिक ७७ रन बनाये थे और महेन्द्र सिंह धोनी ने ५० रनो का योगदान किया था। इस प्रकार न्यूज़ीलैण्ड ने भारतीय दल को १९ रनो से पराजित कर, उसे फ़ाइनल से बाहर का रास्ता दिखा दिया था, जिसकी टीस रोहित शर्मा की कप्तानी मे खेलनेवाले भारतीय खेलाड़ियों के मन मे है और वे पूरी क्षमता के साथ अपना प्रभावकारी प्रदर्शन कर, न्यूज़ीलैण्ड को हराते हुए, उस दर्द को भूलाना चाहेंगे।
परम्परा की बात करनेवालों की कोई कमी नहीं है। ऐसा इसलिए कि ‘राउण्ड रॉबिन प्रारूप’ मे अंकतालिका मे शीर्ष स्थान पर रहनेवाले दल ने कभी विश्वकप क्रिकेट नहीं जीता है। वर्ष १९९२ के विश्वकप मे न्यूज़ीलैण्ड अंकतालिका मे शीर्ष पर बना रहा था; परन्तु वह सेमीफ़ाइनल मे पराजित हो गया था। वर्ष २०१९ के विश्वकप मे भारत भी अंकतालिका मे शीर्ष पर रहा; परन्तु सेमी फ़ाइनल मे उसे न्यूज़ीलैण्ड से पराजय मिली थी। अब भारत उस अन्धविश्वास को चीरकर फ़ाइनल दस्तक़ देने के लिए कटिबद्ध हो चुका है।
हम यदि भारत-न्यूज़ीलैण्ड के मध्य एकदिवसीय मैच की टक्कर के आँकड़ों पर विचार करते हैं तो ज्ञात होता है कि दोनो ने आपस मे कुल ११७ मैच खेले हैं, जिनमे से भारत ने ५९ और न्यूज़ीलैण्ड ने ५० मैच जीते हैं, जबकि ७ मैचों के परिणाम अनिर्णित रहे और १ मैच ‘टाइ’ रहा। इस विश्वकप मे दोनो दलों के मध्य कुल ९ बार टक्कर हुई है, जिनमे से भारत ने ४ और न्यूज़ीलैण्ड ने ५ बार जीत हासिल की है।
चूँकि भारतीय दल ने न्यूज़ीलैण्ड-दल को लीग-चरण मे ४ विकेटों से बुरी तरह से पराजित कर दिया था, इसलिए उसके पास मनोवैज्ञानिक लाभ है, जबकि इस विश्वकप-क्रिकेट मे भारत लगातार अपने सभी मैच जीतता आ रहा है, इसलिए गर्व से उसका सीना चौड़ा दिख रहा है और विजय अर्जित करने के लिए प्रतिबद्धता भी।
सर्वाधिकार सुरक्षित― आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १४ नवम्बर, २०२३ ईसवी।)