ऑस्ट्रेलिया की विषम पिच पर भारतीय बल्लेबाज़ोँ और गेंदबाजोँ ने अपने प्रदर्शन से क्रिकेट-जगत् को चौँकाया

भारतीय क्रिकेटदल के ऑस्ट्रेलिया-दौरे पर जाने से पूर्व ऑस्ट्रेलिया की पिच और गेँदबाज़ी को लेकर ऑस्ट्रेलियाई आतंक का वातावरण बना दिया गया था; परन्तु भारत और ऑस्ट्रेलिया के मध्य ऑस्ट्रेलिया के पर्थ के मैदान मे २८ नवम्बर से खेले गये ‘बॉर्डर-गावस्कर ट्रॉफ़ी– २०२४-२५’ के पाँच टेस्ट मैचोँ की शृंखला के पहले टेस्ट मैच मे जिस तरह से भारतीय बल्लेबाज़ोँ ने प्रदर्शन किया है, उसने फैलाये गये आतंक पर पानी फेर दिया है, यद्यपि टॉस जीतने के बाद नये भारतीय कप्तान जसप्रीत बुमराह ने पहले बल्लेबाज़ी करने का निर्णय लिया था और बल्लेबाज़ी करते समय एक-के-बाद-एक विकेट गिरते रहे; कोई बल्लेबाज़ ऑस्ट्रेलियाई तीव्रगेंदबाज़ोँ को झेल नहीँ पा रहे थे, उससे बुमराह का पहले बल्लेबाज़ी करने का निर्णय अपपटा लग रहा था; पूरा भारतीय दल मात्र १५० रनो की कुल रनसंख्या बनाकर पैवेलियन लौट आया था। तीसरे निर्णायक ने के० एल० राहुल को ग़लत तरीक़े से आउट करा दिया था, यद्यपि क्षेत्र-निर्णायक ने आउट नहीँ दिया था।

ऑस्ट्रेलियाई खेलाड़ी जब बल्लेबाज़ी के लिए आये तब भारत के अनोखे गेंदबाज़ जसप्रीत बुमराह के पहले ही गेंद पर ऑस्ट्रेलिया का पहला विकेट गिर गया। इसप्रकार ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ बुमराह के सामने टिक न सके। बुमराह ने ५ विकेट लिये थे। मो० सिराज और हर्षित राणा की गेंदबाज़ी ने भी ऑस्ट्रेलियाई खेलाड़ियोँ के दाँत खट्टे कर दिये थे। दोनो ने क्रमश: २-२ विकेट लिये थे। पूरा ऑस्ट्रेलियाई दल केवल १०४ रन पर आउट हो चुका था।

भारत की दूसरी पारी मे आरम्भिक बल्लेबाज़ के रूप मे यशस्वी जायसवाल के साथ के० एल० राहुल को भेजा गया था, जिस पर वे खरे उतरे।

दूसरे दिन का खेल समाप्त होने पर भारतीय दल ने बिना कोई विकेट खोये १७२ रन बना लिये थे, जिसमे प्रथम पारी मे शून्य पर आउट होनेवाले यशस्वी जायसवाल ने ९० और तीसरे निर्णायक-द्वारा बेईमानी से कैच-आउट कराये गये के० एल० राहुल ने ६२ रनो का योगदान किया था। इसप्रकार खेल के दूसरे दिन भारतीय दल ऑस्ट्रेलियाई दल से २१८ रनो से आगे बना रहा।

तीसरे दिन अपने ९० रनो से आगे खेलते हुए, यशस्वी जायसवाल ने पर्थ (ऑस्ट्रेलिया) के मैदान मे जोश हेजलवुड के गेंद पर ऑस्ट्रेलिया मे अपने प्रथम टेस्ट मैच मैच २०५ गेंदोँ मे शतक बनाया, वह भी साहसिक ‘अपर कट्’ करते हुए, छक्का लगाकर। इसप्रकार ऑस्ट्रेलिया मे अपने पहले टेस्ट मैच मे तीन भारतीय बल्लेबाज़ोँ :– एम० जयसिम्हा (ब्रिसबेन– १०१ रन; १९६७-६८), सुनील मनोहर गावस्कर (ब्रिसबेन– ११३ रन; वर्ष १९७७) तथा यशस्वी जायसवाल (पर्थ– १६१ रन; वर्ष २०२४) ने शतक बनाये हैँ। यह संयोग ही था कि उक्त तीनो बल्लेबाज़ोँ ने भारत की दूसरी पारी मे ही सैकड़ा बनाया था। वैसे यशस्वी ने अपने पहले ही टेस्ट मैच की प्रथम पारी मे शून्य पर आउट होने के बाद दूसरी पारी मे वेस्टइण्डीज के विरुद्ध शतकीय प्रदर्शन किया था। उल्लेखनीय यह है कि यशस्वी जायसवाल ने ऑस्ट्रेलिया मे अपना प्रथम टेस्ट मैच खेलते हुए, भारत के लिए ४६ वर्ष-बाद अपना चौथा टेस्ट-शतक बनाया था। यशस्वी के पक्ष मे एक एशियाई कीर्तिमान भी है; और वह यह कि उन्होँने अपने पहले १५ टेस्ट मैचोँ मे १,५०० रन बनाकर प्रथम एशियाई बल्लेबाज़ बनने का श्रेय प्राप्त किया है। वे चेतेश्वर पुजारा के बाद १,५०० टेस्ट रन बनानेवाले द्वितीय क्रम मे सर्वाधिक तीव्र गति मे रन बनानेवाले बल्लेबाज़ भी हैँ। यशस्वी ने २८ पारियोँ मे ऐसा किया है। भारत की जीत की नीवँ रखनेवाले के० एल० राहुल मैच के बासठवेँ ओह्वर मे स्टार्क-द्वारा फेँका गया गेंद बल्ले का बारीक़ किनारा लेकर विकेटरक्षक के दस्ताने मे जा पहुँचा था। इसप्रकार शानदार बल्लेबाज़ी कर रहे के० एल० राहुल १७६ गेंदोँ मे ७७ रन बनाकर आउट हो गये। उनके और यशस्वी के बीच पहले विकेट के लिए कुल २०१ रनो की कीर्तिमान भागीदारी हुई थी। ऑस्ट्रेलिया की ओर से हेजलवुड और स्टार्क सधी हुई गेंदबाज़ी कर रहे थे। पिच मे पैरोँ के निशान, कुछ घास और दरारेँ दिख रही थीँ तथा विषमतल दिख रही थी। पिच स्वाभाविक नहीँ दिख रही थी। तेज़ गेंदबाज़ोँ को कुछ तो सहायता मिल रही थी; परन्तु स्पिन-गेंदबाज़ोँ को निराशा मिल रही थी। यशस्वी के विरुद्ध ऑस्ट्रेलियाई कप्तान पैट कमिंस ने दो प्रकार की योजनाएँ बनायी थीँ :– पहली, ऑफ़ स्टम्प के बाहर गेंद फेँककर शॉट मारने के लिए आमन्त्रित करना तथा दूसरी, आक्रामकता के साथ खेलते हुए कैच कराने की, जिसकी जाल मे अड़सठवेँ ओह्वर मे फँसते-फँसते बचे थे। अन्तत:, उन्हेँ २९७ गेंदोँ मे १६१ (१५ चौके-३ छक्के) रनो के व्यक्तिगत स्कोर पर मिचेल मार्श ने स्मिथ के हाथोँ कैच कराकर उनका विकेट ले लिया था, तब भारत के तीसरे विकेट का पतन ३ विकेट पर ३१३ के स्कोर पर हो चुके थे। आगे चलकर, कुछ-कुछ अन्तराल पर भारत के ६ विकेट गिर चुके थे; ऋषभ पंत (१ रन) , देवदत्त पडिक्कल (२५ रन) और ध्रुव जुरेल (१ रन) खेलने मे समर्थ नहीँ थे। पन्त को ऑफ़-स्टम्प’ के बहुत बाहर जा रहे गेंद के साथ छेड़खानी करनी महँगा पड़ी; परन्तु वाशिंगटन सुन्दर (२९ रन) ने बेहतर बल्लेबाज़ी की थी, वहीँ नीतीश रेड्डी (२७ गेंदोँ मे ३८ रन अविजित) ने विराट कोहली का साथ देते हुए, जिस आक्रामकता के साथ शुरू से ही ऐसा खेल दिखाया था, मानो वे टी-२० क्रिकेट मैच खेल रहे होँ। यही कारण था कि पारी-घोषणा करने से पूर्व दोनो बल्लेबाज़ोँ ने चौके-छक्के लगाकर अति तीव्रता के साथ भारत का स्कोर ६ विकेटोँ पर ४८७ रन तक पहुँचा दिया था, जिसमे विराट कोहली का शतक बनते ही कप्तान बुमराह ने पारी-समाप्ति की घोषणा कर दी थी।

विराट कोहली ने लगातार निराशाजनक प्रदर्शन के १६ माह-बाद इस टेस्ट-शृंखला के पहले मैच की दूसरी पारी मे १४३ गेंदोँ मे अविजित १०० रन बनाकर अपनी उपयोगिता सिद्ध की है। यह उनका अपने देश के लिए तीसवाँ टेस्ट-शतक है। इसप्रकार वे विश्व के महान् बल्लेबाज़ोँ मे से एक ऑस्ट्रेलिया के डॉन ब्रैडमैन की शतक-संख्या २९ से आगे निकल चुके हैँ।कोहली की ऑस्ट्रेलिया मे यह सातवाँ टेस्ट-शतक था। इससे पहले ऑस्ट्रेलिया मे तेन्दुलकर ने छ:, सुनील मनोहर गावस्कर ने पाँच, वी० वी० एस० लक्ष्मण ने चार तथा चेतेश्वर पुजारा ने तीन शतक बनाये थे।

भारतीय कप्तान ने ऑस्ट्रेलियाई खेलाड़ियोँ के समक्ष जीतने के लिए ५३४ रन बनाने की चुनौती प्रस्तुत कर दी थी, जिसे पिच और विकेट के बदलते स्वभाव एवं तीव्र भारतीय गेंदबाज़ोँ की सटीक गेंदबाज़ी के सम्मुख बना पाना बहुत मुश्किल दिख रहा था। इसे भारतीय तीव्र गेंदबाज़ोँ ने आगे चलकर सिद्ध भी कर दिखाया। जसप्रीत बुमराह ने अपने पहले ओह्वर के तीसरे गेंद पर ही नाथन मैक्स्विनी को शून्य पर ‘लेग बिफोर विकेट’ (एल० बी० डब्ल्यू०) आउट कर दिया, तब ऑस्ट्रेलिया ने कोई रन नहीँ बनाया था। ‘नाइट वाचमैन’ के रूप मे भेजे गये पैट कमिंस को मो० सिराज ने अपने दूसरे ओह्वर के पहले ही गेंद पर स्लीप मे खड़े विराट कोहली के हाथोँ कैच कराकर अपना दूसरा विकेट ले लिया, तब तक २ विकेट पर मात्र ९ रन थे। १२ रन के स्कोर पर ऑस्ट्रेलिया का तीसरा विकेट भी गिर गया, जब बुमराह-द्वारा १३५.५ की गति मे फेंका गया गेंद विषम उछाल पाते हुए, मार्नस लाबुशैन के पैड से आ टकराया, जो एल० बी० डब्ल्यू० के रूप मे भारत के लिए तीसरा विकेट था। तीसरे दिन की खेल-समाप्ति पर ऑस्ट्रेलिया के ३ विकेट मात्र १२ रन के स्कोर पर गिर चुके थे।

चौथा दिन निर्णायक था। ट्रेविस हेड और मार्श ने भारतीय गेंदबाज़ोँ का जमकर सामना किया था; दोनो ने क्रमश: ८९ और ४७ रन बनाये थे। हेड को बुमराह और मार्श को मो० सिराज ने चलता किया, जिसके बाद ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ी बिखरने लगी थी। उसके शुरू के छ: बल्लेबाज़ ‘आया राम-गया राम’ की भूमिका मे ही दिखते रहे।

भारत के गेंदबाज़ और उसका क्षेत्ररक्षण शानदार और जानदार रहा। ऑस्ट्रेलिया के सारे विकेट २३८ रनो पर गिर चुके थे। भारत ने २९५ रनो से ऑस्ट्रेलिया को ऑस्ट्रेलिया मे जाकर पर्थ मे खेले गये अपने पहले ही मैच मे पराजित कर, विश्व का प्रथम दल बन चुका है। बुमराह और सिराज ने तीन, वाशिंगटन सुन्दर ने दो तथा हर्षित और नीतीश ने एक-एक विकेट लिये थे। अब भारत ने पाँच टेस्ट मैचोँ की शृंखला मे १-० की अग्रता ले ली है। प्रभावकारी कप्तानी, क्षेत्ररक्षण एवं मारक गेंदबाज़ी का प्रदर्शन करनेवाले जसप्रीत बुमराह को ‘प्लेयर ऑव़ द मैच’ का पुरस्कार दिया गया।

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