भारतीय पुरुष एक बुद्धिमती महिला का सानिध्य तो चाहते हैं, पर पत्नी के रूप में उससे निभा नहीं पाते

कोमल गुप्ता जी की फेसबुक वॉल से-


भारतीय पुरुष एक बुद्धिमती महिला का सानिंध्य तो चाहते हैं, पर पत्नी के रूप में उससे निभा नहीं पाते। जिन इलाकों में मुस्लिमों का प्रभाव रहा है या है, वहाँ इस बात को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। मुस्लिम प्रभाव की बात मैंने इसलिए कही क्योंकि भारतीय सनातन व्यवस्था तो अर्धनारीश्वर की धारणा में विश्वास करती है। यहाँ कैकेयी दशरथ के साथ युद्ध में भाग लेती हैं, राम दरबार में सीता राम के साथ बैठती हैं और सुभद्रा अर्जुन का रथ हांकती हैं। यहाँ शिव कहते हैं, कि हे शिवा! तुम्हारे बिना मैं शिव नहीं शव हूँ। तुम्हीं मेरी शक्ति हो। यहाँ महिला पुरुष की संपत्ति नहीं, उसका वैभव है। यहाँ महिला के अधिकार असीमित हैं। वह केवल घर सँभालने वाली नहीं, बल्कि घर की स्वामिनी है। वह पुरुष के धन और संपत्ति की भी स्वामिनी है। सबसे बढ़कर वह आपके बच्चों की माँ है। इस दुनिया में हर रिश्ता दोबारा पाया जा सकता है पर बच्चे की माँ केवल एक ही होती है। दूसरा कोई माँ का स्थान नहीं ले सकता। वह आपके सम्मान की भी अधिकारिणी है। जैसे आपका अपमान निजी नहीं है, वैसे ही आपका सम्मान भी निजी नहीं है। मास्टर की पत्नी मास्टरनी, डॉ की पत्नी डॉक्टरनी, राजा की पत्नी रानी और भगवान की पत्नी भगवती होती हैं। आप स्वयं को जितना सम्मानित व्यक्ति मानते हैं, अपनी पत्नी को उसी अनुपात में सम्मान देंगे। सम्मान के अलावा आप अपनी पत्नी से प्रेम भी करते हैं तो यह मणिकंचन योग है।
आज का यह ज्ञान कल आने वाले करवाचौथ के उपलक्ष्य में है। जो पत्नी को गर्व, प्रेम और बड़े ही सम्मान से अर्धांगिनी कहते हैं, उन्हें पता होना चाहिए कि वे भी अपनी पत्नी का आधा अंग हैं। जो सीढ़ियां ऊपर जाती हैं, वही ऊपर से नीचे भी आती हैं। सिंपल सी बात है, कोई रॉकेट साइंस नहीं। अरे हाँ! सभी बहनों को करवाचौथ की शुभकामना। माँ भगवती आपका व्रत सफल करके सभी अभीष्ट कामनाओं की पूर्ति करें।