यूपी में औद्योगिक नीति की हकीकत व मौजूदा हालात पर से०नि० आई०ए०एस० आलोक रंजन
पूर्व चीफ सेक्रेटरी, यू0पी0
मुख्य संरक्षक- स्मॉल इंडस्ट्रीज मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन) से शाश्वत तिवारी, वरिष्ठ पत्रकार की ख़ास बातचीत।
शाश्वत तिवारी:- क्या आप मानते हैं कि यूपी में बेहतर विकास के लिए एक नये आर्थिक मॉडल की जरूरत है ?
आलोक रंजन:- हां। यूपी के लिए तेजी से बेहतर विकास के मद्देनजर और उसमे अधिक तेजी लाने के लिए एक बेहतर नये आर्थिक मॉडल की जरूरत है, जो अधिक रोजगार देने वाला हो।
शाश्वत तिवारी:- क्या आप मानते हैं कि यूपी में आने वाले प्रत्येक उद्यमी को संदेश से देखा जाता है ?
आलोक रंजन:- हां । यहां आने वाले उद्यमियों को अधिकारी लेवल पर तो सहयोग और सहायता मिलती है और उनका स्वागत किया जाता है। पर निचले स्तर पर उनको कोई खास सपोर्ट नहीं मिल पा रहा है। उद्योगों की स्थापना व उद्यमी को सहयोग के मामलों में निचले स्तर पर अभी भी भ्रष्टाचार हैं। जिसकी वजह से यूपी आने वाले उद्यमियों को शासन की नीतियों का लाभ सही ढंग से नहीं मिल पा रहा है।
शाश्वत तिवारी:- क्या आप मानते हैं कि यूपी सरकार की की सरकार की की मौजूदा नीतियां सिर्फ कुछ लोगों को लाभ देने वाली है ?
आलोक रंजन:- नहीं । नए उद्यमियों के लिए यूपी की औद्योगिक नीति पहले से काफी बेहतर हुई है, हलाकि की आज की नीतियों में 90% भाग पिछली अखिलेश सरकार का ही है। हां, योगी सरकार ने इस में दो बातें जोड़ी है, जिसमें पूर्वांचल बा बुंदेलखंड रीजन को शामिल किया गया है। इस सरकार ने इस पिछड़े क्षेत्रों में उद्योग- धंधों की स्थापना व अधिक रोजगार देने वाली इकाइयों की स्थापना पर जोर दिया है। मेरा मानना है कि यूपी के इन पिछड़े इलाकों की समृद्धि के लिए योगी सरकार का यह एक बेहतर कदम है, जिससे इन इलाकों का विकास व यहाँ रोजगार बढेगा।
शाश्वत तिवारी:- क्या आप मानते हैं हम घोर पूंजीवाद की ओर बढ़ रहे हैं ?
आलोक रंजन:- हां । सरकार को पूरी ताकत पूंजी बढ़ाने को लेकर है। मुझे लगता है यहाँ आने वाले समय में और बढ़ेगा, समय की मांग भी यही है। सरकार को गरीब, बीमार उद्योगों और नई इकाइयों इकाइयों की स्थापना व बड़ी संख्या में रोजगार सृजन के लिए अधिक पूंजी की जरूरत है।
शाश्वत तिवारी:- क्या आप मानते हैं कि बड़े और छोटे उद्यमियों के बीच बढ़ती असमानता को रोकने के लिए आपका एसोसिएशन एक बेहतर विकल्प (एक सेतु) बन सकता है ?
आलोक रंजन:- हां । हमारे इस एसोसिएशन के गठन को अभी मात्र 7-8 महीने ही हुए हैं। जिसमें अधिक समय कोरोना काल की बंदी का शामिल है। इतने अल्प समय में हमारी एसोसिएशन ने आज की तारीख तक 1000 से ऊपर सदस्य बनाए हैं। जिसमें खासकर लघु व मझोले उधमी अधिक हैं। हमने उनकी कई जरूरी बातों को बेहतर ढंग से शासन तक पहुंचाया है। हम लगातार उनकी समृद्धि को लेकर कार्य कर रहे हैं। हमारी एसोसिएशन बिना किसी सरकारी सहयोग के अपने निजी संसाधनों से चलती है। हमारा लक्ष्य मार्च, 2021 तक अपनी संस्था के सदस्यों की संख्या को 5000 तक पहुंचाना है। मेरा पूरा विश्वास है कि हम अपना लक्ष्य बहुत जल्दी तय कर लेंगे।
शाश्वत तिवारी:- क्या आप मानते हैं कि आज हमें एक ऐसे आर्थिक मॉडल की जरूरत है, जिससे सरकार उद्योगों के मुनाफे में साझेदारी करें ?
आलोक रंजन:- हां । आज मौजूदा उद्योग की हालत पतली है। कोरोना महामारी की वजह से हमारे पारंपरिक उद्योग, खासकर छोटे व अत्यंत छोटे उद्योग धंधों पर बड़ा संकट उत्पन्न हुआ है। आज जरूरत है, इन छोटे उद्यमियों को गले लगाने की और बिना शर्त उनको बेहतर सहूलियत देने की। हालांकि ओ0डी0ओ0पी0 के अंतर्गत पारंपरिक छोटे उद्यमियों को बचाने में सरकार काम तो कर रही है। पर उसका बहुत बेहतर परिणाम हमें नहीं मिल पाया है। आज ओ0डी0ओ0पी0 के लाभ के आंकड़े स्पष्ट नहीं है। मुझे लगता है, सरकार को इस योजना को और बेहतर करने के लिए, इसमें परिवर्तन करने की जरूरत है। जिससे ये और बेहतर तरह से लाभ पंहुचा सके।
शाश्वत तिवारी:- आप मानते हैं की उधमी की समृद्धि के साथ सरकार लाभ साझा करने में कई चुनौतियां है ?
आलोक रंजन:- हां । उद्यमी की समृद्धि को बढ़ाना एक बड़ी चुनौती है । मुझे पूरी उम्मीद है हम सरकार के सहयोग से धीरे-धीरे इन चुनौतियों को बेहतर ढंग से हैंडल कर पाएंगे ।
शाश्वत तिवारी:- क्या आप मानते है कि गलत तरह से निर्धारित नीलामियों के आधार पर सार्वजनिक संपत्ति की एकमुश्त नीलामी नीलामी उद्योग के लिए ‘मौत’ की घंटी है ?
आलोक रंजन:- हां । जब सभी उपाय व बचाव के रास्ते बंद हो जाए, तभी ऐसा होना चाहिए। मेरा मानना है बीमार उद्योग व उनसे जुड़ी संपत्तियों को पुनः चालू करने की हर संभव प्रयास, हर हाल में होना ही चाहिए में होना ही चाहिए। बीमार इकाई को बचाने के लिए एक खास बचाव पैकेज पैकेज भी होना चाहिए। मेरा साफ मानना है कि कमजोर इकाइयों के लिए अलग नीति होनी चाहिए। जिसमें इन सिक इकाइयों को प्राथमिकता के आधार पर जल्द सहायता व आर्थिक मदद उपलब्ध हो सके।
शाश्वत तिवारी:- क्या आप मानते हैं कि अर्थव्यवस्था के प्रत्येक क्षेत्र प्रत्येक क्षेत्र में काम करते समय सरकार के पास एक अलग राजनीतिक योजना होनी चाहिए। जिससे क्षेत्र विशेष कि समृद्धि में शामिल लोगों की ज्यादा से ज्यादा भागीदारी हो ?
आलोक रंजन:- हां । क्षेत्र विशेष की समृद्धि व उनसे जुड़े लोगों की भागीदारी को लेकर सरकार को एक अलग सोच बनानी चाहिए। जिससे उनका पूरा लाभ सीधा उनको मिल सके ।
शाश्वत तिवारी:- क्या आप मानते हैं कि सरकार को प्रत्येक उद्यमी को संदेह की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए और ना ही सरकारी नीतियां कुछ ही ही सरकारी नीतियां कुछ ही ही भागीदारों को लाभ पहुंचाने वाली होनी चाहिए ?
आलोक रंजन:- हां । सरकारों से ही सबको मदद की आशा होती है और सरकार को बिना भेदभाव के सभी को पूर्ण सहयोग व लाभ देना चाहिए। यह हर सरकार का नैतिक व सामाजिक कर्तव्य भी व सामाजिक कर्तव्य भी है।
शाश्वत तिवारी:- क्या आप मानते हैं कि यही सही समय है जब यूपी सरकार को तत्काल ऐसे आर्थिक मॉडल को लाना चाहिए, जिससे ऐसे व्यक्ति के जीवन में समृद्धि आये जो आर्थिक और सामाजिक सीढ़ी के निचले पायदान पर है ?
आलोक रंजन:- हां । यही सही समय है जब लोग कोरोना महामारी के कारण कठिन आर्थिक तंगी में जीवन जीने को मजबूर है को मजबूर है, शासन का उद्देश्य आर्थिक और सामाजिक उद्देश्य आर्थिक और सामाजिक पायदान पर निचले स्तर के व्यक्ति को ऊपर लाना है। ऐसे में आर्थिक मॉडल स्पष्ट नीतियों वाला होना चाहिए ?
शाश्वत तिवारी:- क्या आप मानते हैं कि यूपी में निजी हित सार्वजनिक हित से ऊपर हैं निजी हित सार्वजनिक हित से ऊपर हैं में निजी हित सार्वजनिक हित से ऊपर हैं निजी हित सार्वजनिक हित से ऊपर हैं ?
जवाब:- हां । सरकार की नीतियां सदैव सार्वजनिक हित को ऊपर रख कर ही होना चाहिए। सरकार को जमीनी हकीकत जानने के लिए ग्राउंड पर जाना चाहिए और सार्वजनिक हित को सर्वोपरि रखते हुए, सही आंकड़ों को परखना चाहिए। तभी सही मायने में सार्वजनिक हित हो सकेगा और लोग आर्थिक तंगी से बाहर आकर समृद्धि की ओर आगे बढ़ सकेंगे।