संस्कार और संस्कृति को बचाने हेतु साहित्य ही समाज का दर्पण – राजेश शर्मा पुरोहित

नई दिल्ली – साहित्य संगम संस्थान द्वारा प्रकाशित समाचार संगम के नवीन कार्यक्रम दस सवाल – साहित्य के नाम के अंतर्गत संस्थान के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी आo राजेश शर्मा पुरोहित जी ने साक्षात्कार स्वरुप अपने साहित्यिक विचार एवं अनुभव साझा किए। प्रधान संपादक विनय गौतम विनम्र द्वारा पूछे गए साहित्यिक एवं व्यक्तिगत सवालों का उन्होंने बड़ी खूबसूरती से जवाब दिया । इस साक्षात्कार हेतु समाचार संगम की पूरी टीम एवं संस्थान के अध्यक्ष राजवीर सिंह ने राजेशकुमार पुरोहित का आभार व्यक्त किया है ।

ज्ञात हो कि समाचार संगम द्वारा आयोजित ‘दस सवाल साहित्य के नाम’ कार्यक्रम के अंतर्गत देश विदेश के प्रमुख उभरते साहित्यकारों के अनुभव साक्षात्कार स्वरुप बड़ी प्रमुखता से हर अंक मे प्रकाशित किया जाता है ।
तो पढ़िए राजेश शर्मा पुरोहित के साक्षात्कार के कुछ अंश :-

कार्यक्रम – दस सवाल-साहित्य के नाम
साक्षात्कारदाता : राजेश शर्मा पुरोहित

  1. विनय गौतम ‘विन्रम’ – सबसे पहले अपने विषय में कुछ बताइए, साथ ही लेखन हेतु आपकी रुचि और अपनी साहित्यिक उपलब्धियों के विषय में भी बताइए ।

राजेश शर्मा पुरोहित- मेरा जन्म ओसाव जिला झालावाड में गुर्जर गौड़ ब्राह्मण परिवार में 05 सितम्बर 1970 शिक्षक दिवस के दिन हुआ। मेरे पिताजी श्री शिवनारायण शर्मा प्रसिद्ध शिक्षाविद् रहे। मेरी माताजी श्रीमती चन्द्रकला शर्मा समाज सेविका व गृहणी है। पिताजी को गीता के श्लोक व रामायण की चौपाइयों को बोलते बचपन से देखा। घर के आध्यात्मिक वातावरण का मुझ पर प्रभाव पड़ा। पिताजी अध्यात्मवेत्ता शिव भक्त थे। हम 6 भाई हैं। विद्यालयीन सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेता ओर कविताएं सुनाता। घर पर काव्य पाठ का अभ्यास करता फिर मंच पर प्रस्तुति देता।

मेरी प्राथमिक शिक्षा सांगरिया झालावाड में हुई। वहीं मेरा बचपन बीता। सेकेंड्री परीक्षा झालावाड से उत्तीर्ण की। हायर सेकेंडरी भवानीमंडी से की। शिक्षा नगरी कोटा से स्नातक प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की ।उस समय की राज्यपाल राजस्थान “मार्गरेट अल्वा” जी के कर कमलों से मुझे स्वर्ण पदक प्रदान कर डिग्री प्रदान की गई। स्नातकोत्तर हिन्दी भी प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण की ।

साहित्य लेखन का श्रीगणेश मेरी प्रथम रचना 1996 में खेल दर्पण समाचार पत्र में झालावाड़ से छपी रचना से हुई। मुझे मेरे परिवार के लोगों ने साहित्य लेखन हेतु प्रेरित किया। मेरी रचनाएँ देश के बड़े अख़बारो में छपने लगी। राजस्थान पत्रिका दैनिक भास्कर दैनिक नवज्योति के परिशिष्ट में रचनाएँ छपने लगी।

मेरी साहित्यिक उपलब्धियों में विद्या वाचस्पति सम्मान है जो मुझे साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली द्वारा प्रदान की गई। अब तक पांच दर्जन से अधिक साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित विभूषित अलंकृत हो चुका हूं। मेरी आशीर्वाद ,अभिलाषा, काव्यधारा पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी है , महापुरुषों पर चालीसा भी मैंने लिखें है , जिनमे रामदास चालीसा,गाँधी चालीसा, यथार्थ गीता चालीसा, सेन चालीसा, प्रताप चालीसा प्रमुख हैं।

कई सहयोगी साझा संकलनों में मेरी रचनाएँ प्रकाशित हुई है अब तक कई पुस्तकों की समीक्षा लिख चुका हूँ । वर्तमान में राजकीय उच्च माध्यमिक विद्यालय सूलिया जिला झालावाड में शिक्षक हूँ। संस्थान में राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी का दायित्व है। नशा मुक्ति,जीव दया,पशु कल्याण,शाकाहार के लिए गाँव गाँव में अलख जगाने का कार्य करता हूँ। अखिल भारतीय कवि सम्मेलनों में काव्यपाठ व मंच संचालन करता हूँ साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली, अखिल भारतीय साहित्य परिषद जयपुर, शीर्षक साहित्य परिषद भोपाल, नवोदय क्रांति परिवार भारत सहित कई संस्थाओं से सम्बंध है।

2. विनय गौतम “विनम्र” : हिंदी साहित्य के प्रति आपका लगाव कब और कैसे प्रारंभ हुआ? इसके लिए आप किसे अपना प्रेरणास्त्रोत मानते है?

राजेश शर्मा पुरोहित-
हिन्दी साहित्य के प्रति मेरा लगाव बचपन से ही रहा है। विद्यालय के पुस्तकालय से कहानियों कविताओं की पुस्तकें लेकर खूब पढता। मैं सोचता था कि वह दिन कब आएगा जब मेरी रचना बालहंस में छपेगी। आखिर समय ने करवट ली। जिस बालहंस पत्रिका को पढ़ा, उसी में मेरी रचनाएँ प्रत्येक अंक में छपने लगी । मेरा दृढ़ संकल्प व मेरे घर वालों की प्रेरणा से मुझे साहित्य लेखन के क्षेत्र में आगे बढ़ने की प्रेरणा मिली मैं इसका श्रेय मेरी माताजी को देता हूँ। मेरे पिताजी के 1992 में स्वर्गवासी होने के बाद भी मुझे अभावों में जी कर पढ़ाया व इस काबिल बना दिया। आज हम पांच भाई सरकारी सेवा में है।

3. विनय गौतम “विनम्र” : आपने हिंदी साहित्य हेतु अपनी पहली कृति कब और किस विधा मे सृजित की थी.. (कृति के कुछ अंश)

राजेश शर्मा पुरोहित- हिन्दी साहित्य हेतु मेरी पहली कृति आशीर्वाद, लघुकथा संग्रह मांडवी प्रकाशन गाजियाबाद से 2003 में प्रकाशित हुई जिसमें लघुकथाएं हैं।लघुकथा निन्यानवें का फेर के अंश “सोनपुर के सेठ धर्मचंद के पड़ोस में एक मजदूर रहता था। उसका नाम कल्लू था जो कमाता उसे संतोषपूर्वक खाकर चैन की जिंदगी बिताता। सेठानी महल पर से झांक कर कल्लू के परिवार की मस्ती देखती रहती ओर अपने पति धर्मचंद जी को उलाहना देती-“तुम कोल्हू के बैल की तरह पिलते रहते हो। कभी न चैन न फुरसत, न खुशी न मस्ती। देखो न कल्लू का परिवार कितना खुशहाल है न चिन्ता न गम।” सेठ ने कहा-“इस कल्लू को निन्यानवें के फेर में नहीं फंसना पड़ा है। अन्यथा सारी हँसी-खुशी चली जाती।”

4. विनय गौतम “विनम्र”- आपके नजरिए से हिंदी साहित्य का महत्व समाज और आने वाली पीढ़ियों के लिए कैसा होने वाला है?

राजेश शर्मा पुरोहित- मेरे दृष्टिकोण से हिन्दी साहित्य के प्रति आम जनता में रुचि बढ़ी है। लोग हिन्दी के महत्व को समझने लगे है। अहिन्दी प्रदेशों में युवा पीढ़ी हिन्दी पढ़ने लगी है , हिन्दी में हस्ताक्षर करना, प्रतिदिन के काम हिन्दी में करना, शुरू करना अच्छे संकेत हैं। आने वाली पीढियां हिन्दी भाषा को महत्व देते हुए हिन्दी के प्रचार प्रसार में अग्रणी होगी ।

5. विनय गौतम “विनम्र”- वर्तमान साहित्य के क्षेत्र में साहित्य संगम संस्थान की भूमिका को आप किस रूप में देखते हैं?

राजेश शर्मा पुरोहित-
वर्तमान में देश की तमाम साहित्यिक संस्थाओं में साहित्य संगम संस्थान से जुड़े रचनाकारों का एक बड़ा परिवार हैं। जहां नवोदित कवियों की पौध तैयार की जाती है अनुभवी छन्द गुरुओं द्वारा उन्हें छंदों का ज्ञान सिखाया जाता है उन्हें व्याकरण मर्मज्ञ बनाया जाता है जो आसान काम नहीं है। सभी रचनाकारों को सम्मानित कर उनकी रचनाओं को ॥ पुस्तक रूप में सबसे कम शुल्क में संस्थान के प्रकाशन से प्रकाशित करवाया जाता है। साहित्य संगम संस्थान से जुड़े रचनाकार अब विदेशों के अखबारों में अपनी रचनाओ से संस्थान का नाम रोशन कर रहे हैं अमेरिका , ऑस्ट्रेलिया, यूरोप, अफ्रीका, कनाडा, नेपाल से रचनाएँ छपती है ।
साहित्य संगम संस्थान विश्व मे शीघ्र ही अपनी पहचान बना लेगा ऐसा मेरा मानना है।

6. विनय गौतम “विनम्र”- साहित्य और समाज के संबंध को आप किस प्रकार देखते हैं?

राजेश शर्मा पुरोहित-
साहित्य समाज का दर्पण कहा जाता है। समाज में घटने वाली घटनाएं ही साहित्य का रूप ले लेती है। समाज मे व्याप्त कुरीतियों को समूल नष्ट करने का कार्य साहित्य ही कर सकता है। समाज में नव चेतना लाकर आम जनता में राष्ट्र भाव जगाता है साहित्य।
संस्कार व संस्कृति को सुरक्षित कैसे रखें ये सब सवालों की कुंजी है साहित्य।

7. विनय गौतम “विनम्र”- ई-मीडिया के बढ़ते दौर का साहित्य के लिए क्या योगदान है?
राजेश शर्मा पुरोहित- ई मीडिया ने विश्व ग्राम की परिकल्पना को मूर्त रूप देने का बड़ा काम किया है आज पुस्तकें हम मोबाइल पर पढ़ने लगे हैं। पुस्तकें अमेजन से खरीद रहे हैं दूर दूर बैठे लेखक देशी विदेशी सबकी रचनाएँ पढ़ना कितना आसान है डिजिटल लाइब्रेरी बनने लगी है। साहित्य के क्षेत्र में ई मीडिया ने रचनाकारों को अपनी रचनाओं को जन जन तक पहुंचना आसान कर दिया है। फेसबुक इंस्टाग्राम ट्विटर द्वारा रचनाकार एक दूसरे से जुड़े हैं। हिन्दी साहित्य का प्रसार बढ़ा है। नवोदित कवि कवयित्री भी ई मीडिया के माध्यम से व्याकरणीय ज्ञान में सिद्धहस्त हो रहे हैं।

8. विनय गौतम “विनम्र”- संस्थान के वरिष्ठ सदस्य होने के नाते नवोदित साहित्यकारों को सटीक लेखन हेतु किस प्रकार प्रोत्साहित कर सकते है?

राजेश शर्मा पुरोहित- संस्थान में मुझसे वरिष्ठ कई रचनाकार है जिनके मार्गदर्शन में हम सब साहित्य साधना कर रहे हैं। मैं नवोदित साहित्यकारों से सटीक लेखन हेतु कहना चाहता हूँ कि आप सभी साहित्य साधना कर सोपान दर सोपान आगे बढ़ो। छन्द लेखन करना सीखो। अपनी रचनाओं की किसी वरिष्ठ रचनाकार को बताकर कर ही पत्र पत्रिकाओं में छपने के लिए भेजो। सामयिक विषयों का चयन करो कम लिखो मगर श्रेष्ठ लिखो। शब्द ज्ञान बढ़ाओ। छंदमुक्त रचनाओं को बढ़ावा न देकर छन्द लिखने का निरन्तर अभ्यास करो। प्रायः देखने मे आता है कि हम सम्मान बटोरने के लालच में साहित्य साधना नहीं कर जल्दी ही प्रसिद्ध होना चाहते हैं। जो गलत है। जो नवोदित कवि अपनी रचना कैसे उत्कृष्ट बने कालजयी बने ये सोचकर सृजन करता है वही सफल होता है ।

9. विनय गौतम “विनम्र”- सटीक लेखन करने से पहले आपको लेखन से संबंधित किन समस्याओं का सामना करना प़डा?

राजेश शर्मा पुरोहित- सटीक लेखन करने से पहले विषय चयन की समस्या आई। मैंने सामयिक विषयो पर लिखना शुरू किया कविताएं, ग़ज़ल, गीत लिखे, लघुकथा, कहानियां लिखी। मुझे समस्या हुई कि रचनाएँ तो बहुत लिख दी इन्हें पाठकों तक कैसे पहुंचाऊं । मेरा सोशल मीडिया के जरिये विभिन्न समाचार पत्रों पत्रिकाओं से जुड़ना हुआ। जिससे मेरी रचनाएँ समाचार पत्रों में छपने लगी। आज देश ही नहीं विदेशों से भी मेरी रचनाएँ प्रकाशित हो रही है ।

10. विनय गौतम “विनम्र”- समाचार संगम साहित्य के क्षेत्र में कैसा कार्य कर रहा है इस संबंध में आपके क्या विचार है?

राजेश शर्मा पुरोहित- समाचार संगम साहित्य संगम संस्थान नई दिल्ली द्वारा प्रकाशित पाक्षिक पत्र था जिसे साप्ताहिक कर दिया है इसमें संस्थान से जुड़े रचनाकारो की रचनाएं व उनकी साहित्यिक उपलब्धि के समाचारों को प्रमुखता से प्रकाशित किया जाता है। हर रचनाकार के मन मे होती है कि मेरी रचना अखबार में छपे। संस्थान ऐसे सभी रचनाकारों को मंच देता है जो एक अच्छी पहल है। वर्तमान में आदणीय विनय गौतम साहब इसके प्रधान संपादक है जिनके श्रेष्ठ सम्पादन में ये समाचार पत्र लोकप्रिय होता जा रहा है । साहित्य के क्षेत्र में आज समाचार संगम के प्रत्येक अंक की पाठक प्रतीक्षा करते हैं।

साभार : विनय गौतम ‘विनम्र’, प्रधान संपादक – समाचार संगम