★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
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यह वही आयुष सिनहा है, जिसने २८ अगस्त को हरियाणा में अपने अधिकार के लिए आन्दोलन कर रहे किसानों को लाठियों से मार-मार सिर तोड़ देने के लिए पुलिसबल को आदेश किया (‘दिया’ था का प्रयोग अशुद्ध है।) था। इस नितान्त निकृष्ट-निर्मम-निर्लज्ज एस० डी० एम० का आदेश पाकर पुलिसकर्मियों ने आँखें मूँदकर प्रदर्शन कर रहे निर्दोष किसानों पर लाठियों से प्रहार किये थे। ऐसा लग रहा था, मानो आयुष सिनहा जलियाँवाला बाग़ में निहत्थे लोग पर लाठियाँ बरसाने का आदेश करनेवाले क्रूर जनरल डायर का दूसरा रूप ले चुका हो।
उस निर्दय एस० डी० एम० आयुष सिनहा ने करनाल ज़िले में आन्दोलन कर रहे किसानों के विरुद्ध पुलिसबल को उकसाते हुए कहा था, “कोई यहाँ से निकलने की कोशिश करे तो लट्ठ उठाकर मारना बस।। मैं स्पष्ट आदेश देता हूँ। उसका सिर फोड़ देना। कोई डाउट नहीं है। किसी डायरेक्शन की ज़रूरत नहीं है। हेलमेट पहन लो। एक भी बन्दा यहाँ से जाना नहीं चाहिए। यदि गया तो उसका सिर फूटा हुआ होना चाहिए।”

यह चित्र उसी नृशंस एस० डी० एम० आयुष सिनहा का है, जो ‘जनरल डायर का प्रेतात्मा’ बना हुआ है। उसके चित्र के पीछे कुछ पुस्तकें दिख रही हैं। ऐसे में, उसे हम कैसे ‘सरस्वती-पुत्र’ कह दें? यदि सरस्वती के चरणों के समीप बैठकर उसने अध्ययन किया होता तो इतना आततायी नहीं दिखता।

आयुष सिनहा के कुकृत्य के चलते, कई किसान रक्तरंजित हो चुके हैं। उसके विरुद्ध ‘भारतीय दण्ड संहिता’ के अन्तर्गत कठोर काररवाई (‘कार्रवाई’ अशुद्ध शब्द है।) करने की ज़रूरत है, ताकि भविष्य के लिए उसे और अन्य सम्बन्धित अधिकारियों को सीख मिल सके। उसे ग़ौर से देखने पर उसकी मुसकराहट में कुटिलता और क्रूरता झाँकती नज़र आती है।

इस समूचे प्रकरण से यह भी सत्य छनकर आ रहा है कि उस कथित एस० डी० एम० के सिर पर हरियाणा के मुख्यमन्त्री मनोहरलाल खट्टर और एक अन्य प्रमुख नेता दुष्यन्त चौटाला के हाथ हैं।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ३० अगस्त, २०२१ ईसवी।)