मोदी-सरकार का ‘दैनिक भास्कर’ और ‘भारत’ समाचार-चैनल के प्रति ज़ाहिर होता दुराग्रह

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

‘दैनिक भास्कर-समूह’ के सभी प्रमुख कार्यालयों और समाचार-चैनल ‘भारत’ के प्रधान सम्पादक ब्रजेश मिश्र के घर आयकर-विभाग-द्वारा छापेमारी की काररवाई इस बात का प्रमाण है कि ‘न्यू इण्डिया की मोदी-सरकार’ अपनी राष्ट्रघाती नीतियों के प्रकाशन और प्रसारण को फूटी आँखों भी देखना नहीं चाहती है; क्योंकि उसे ग़ुलाम मीडियातन्त्र चाहिए, जो कि इस लोकतन्त्रीय देश में सम्भव ही नहीं है। ‘दैनिक भास्कर-समूह’ पर १०० करोड़ रुपये की काली कमाई का आरोप लगाया गया है और छापेमारी जारी है।

इसके पीछे का सच यह है कि ‘दैनिक भास्कर’ समाचारपत्र लम्बे समय से मोदी-सरकार के मुखौटे पर लगातार प्रहार कर सच को उजागर करता आ रहा है, विशेषकर कोरोना की दोनों लहरों के दौरान जिस तरह से राज्य और केन्द्र की सरकारें लापरवाह दिखी थीं और जिनके कारण देश के लाखों लोग दर्दनाक मृत्यु को प्राप्त हुए थे, उनका सिलसिलेवार अपनी शानदार-जानदार रिपोर्टिंग से राज्य और केन्द्र-सरकारों की नींद हराम कर दी थी, उसी की प्रतिक्रिया है, ‘दैनिक भास्कर’-समूह पर आयकर-विभाग के दल-द्वारा छापे पड़वाना।

समाचार-चैनल ‘भारत’ के प्रधान सम्पादक ब्रजेश मिश्र निर्भीक रहकर मोदी-सरकार की लोकघाती नीतियों पर प्रहार करते आ रहे थे, जो कि उनका अधिकार है। मोदी-सरकार और उनके चहेतों को यह बात रास नहीं आ रही थी; फिर क्या था, ब्रजेश मिश्र के घर छापा मरवा दिया गया।

मोदी-सरकार को यदि उक्त दोनों प्रतिष्ठानों की किसी भी प्रस्तुति से यदि शिकायत थी तो वह न्यायालय में जा सकती थी। उसे सीधे काररवाई करने का अधिकार कैसे प्राप्त हो गया है?

इस तरह तो देश में ऐसे हज़ारों समाचारपत्र-समूह हैं, जो ‘आयकर-विभाग’ के निशाने पर आ सकते हैं; परन्तु वे भला क्यों आयेंगे, मोदी-सरकार का गुणगान जो करते आ रहे हैं। वैसे भी लम्बे समय से ‘दैनिक भास्कर-समूह’ को न तो राज्य-सरकारों का विज्ञापन मिल रहा था और न ही केन्द्र-सरकार का। ऐसे में, उस समूह का ख़ार खाना भी स्वाभाविक था। उसके बाद भी वह अपने अधिकार का ही उपयोग कर रहा था।
मोदी-सरकार पिछले सात वर्षों से हर उस संस्थान और व्यक्ति के साथ बदले की राजनीति करती आ रही है, जो उसकी लोकघाती नीतियों का विरोध करता आ रहा है। क्या कभी मोदी-सरकार को चलानेवाले लोग इस पर विचार कर सकेंगे– मोदी-सरकार के विरुद्ध देश में असंतोष का वातावरण क्यों है और इसका परिणाम-प्रभाव क्या होगा?

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २२ जुलाई, २०२१ ईसवी।