संयोजक : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
इस विषय पर देशहित में अब स्वस्थ संवाद-प्रतिसंवाद करने की आवश्यकता है।
तो आइए! बिना किसी पूर्वग्रह के इस परिसंवाद में सक्रिय भागीदारी करते हुए, निर्भीक, किन्तु शालीन विचारों की अभिव्यक्ति करें। निस्सन्देह, नीतियों और नीयत पर प्रहार करना है, न कि व्यक्तिगत स्तर पर।
वैचारिक हस्ताक्षरों का स्वागत है :———
रामाश्रय सिंह जी कहते हैं कि देशहित के लिए अहर्निश सोचने एवं कर डालने की सिद्धि है पी एम मोदी में । राष्ट्रीय सुरक्षा पर सर्वोच्च प्राथमिकता के लिए दृढ़ता से संकल्पित रहने वाले माननीय नरेन्द्र मोदी जी ने न केवल देश की सुरक्षा को चार चांद लगा दिया है अपितु वैश्विक स्तर पर भी भारत की अहमियत को गुणात्मक रूप से उत्कृष्ट कर दिया है जिसके लिए वे बधाई के पात्र है । तमाम विकास के मुद्दो पर भी उन्होंने ठोस कदम उठाए है ।मेरी निजी दृष्टि मे तो यह आवश्यक लगता है 2019 के चुनाव मे भी उनके नेतृत्व को एक और मौका देना एक विवेकसम्मत सोच रहेगी ।
अनीता शर्मा जी का कहना है कि आज झांसी से जबलपुर जाते राजमार्ग पर है जानवरों गाय या भैंस बेलगाम दिखे।यहाँ भी लापरवाही दिखी।सरकार थक हार गयी ।कोई भी कानूनी व्यवस्था नहीं दिखी ।
जगन्नाथ शुक्ल जी लिखते हैं कि निस्संदेह राष्ट्र और नागरिक के साथ छल लोकतंत्र में अक्षम्य अपराध होता है, इस दृष्टि से प्रधान मन्त्री जी ने पद की गरिमा का तनिक भी मान नहीं रखा।
राजन जी का विचार है कि आधार, मनरेगा, जीएसटी के विषय में विचार अवसरवादी हैं । नोटबंदी के दरमियां का वाकया और आश्वासन फिर वक्तव्य, याद करिए खुद के लिए देशवासियों के लिए क्या – क्या नहीं कहा गया ? धरातल पर योजनाओं की घोषणा किंतु क्रियान्वयन की जगह झुनझुना बजता है ।