राहुल गांधी की ‘सुरक्षा मे चूक’ पर मीडियावाले मौन क्यों?

● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

राहुल गांधी चुनाव-प्रचार के लिए पिछले १० अक्तूबर को शहडोल (मध्यप्रदेश)-हवाई अड्डा पहुँचे थे। उससे पहले सतना (मध्यप्रदेश) हवाई अड्डे पर उनके चार्टेड प्लेन के उतरते ही अचानक, एक अज्ञात भीड़ ‘राहुल गांधी ज़िन्दाबाद’ के नारे लगाते हुए, राहुल की ओर बढ़ने लगी थी। उन्हीं मे से कुछ “सर! सेल्फ़ी लेनी है” कहकर उन तक पहुँचने की कोशिश करने लगे थे। दृश्य (वातावरण) देखकर ऐसा आभास हो रहा था, मानो सुनियोजित तरीक़े से राहुल गांधी पर हमला होनेवाला हो। उनकी सुरक्षा मे चूक कैसे हो गयी थी, जो एक अज्ञात भीड़ ने हवाई अड्डे के भीतर पहुँचकर ‘राहुल ज़िन्दाबाद’ का नारा लगाते हुए, उन्हें और उनके ‘चार्टेड प्लेन’ को घेर लिया था? राहुल गांधी ने भीड़ की ओर मुख़ातिब होकर क्रुद्ध स्वर मे कहा था, “आप लोग निकलिए यहाँ से।”

स्थिति की गम्भीरता को ताड़ते ही भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस के नेता एवं राज्यसभा-सदस्य रणदीप सूरजेवाला ने अपनी बाँहों को फैलाकर राहुल गांधी के शरीर को ढक लिया था। इस प्रकार सूरजेवाला की सूझबूझ के चलते, राहुल की उस कथित भीड़ से रक्षा की गयी थी, फिर उन्हें तत्काल जिस चार्टेड विमान से आये थे, उन्हें उसी के भीतर जाने के लिए कहा गया था और वे विमान मे पुन: बैठ गये थे। उसके अनन्तर उनकी सुरक्षा मे लगे कर्मी सजग, सतर्क तथा सावधान हो गये थे। उसके कुछ ही मिनट-बाद राहुल उस चार्टेड विमान से उतरकर हेलीकॉप्टर मे बैठ गये, फिर विमान का दरवाज़ा बन्द हुआ और वह हेलीकॉप्टर शहडोल के लिए उड़ान भरने लगा।

प्रश्न है, हवाई अड्डे के सुरक्षाकर्मियों ने ‘राहुल ज़िन्दाबाद’ का नारा लगानेवाली भीड़ को अन्दर आने की अनुमति किसके इशारे पर दी थी?

यदि यही स्थिति सत्ताधारी दल के किसी घोरहू-कोतवारू क़िस्म के नेता की होती तो ग़ुलामी के प्रतीक सारे समाचार-चैनलवाले आसमान सिर पर उठा लिये होते और सत्ताधारी दल के प्रवक्ता चड्ढीउतार नंगा नाच प्रदर्शित कर रहे होते।

(सर्वाधिकार सुरक्षित― आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १४ अक्तूबर, २०२३ ईसवी।)