गुण्डे-जैसे खुले आम बोल रहे नेताओं को नज़रबन्द करना ज़रूरी है

आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

★ आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

देश के अधिकतर राजनेता लोकतन्त्र की हत्या कर चुके हैं। उच्चतम न्यायालय को चाहिए कि जिस भी दल के राजनेता और उनके प्रवक्ता बेहद जाहिल और लम्पट रूप मे विचार व्यक्त कर रहे हैं; उत्तरप्रदेश की जनता के आत्मिक, बौद्धिक तथा आर्थिक विकास के स्थान पर अर्थहीन प्रश्न-प्रतिप्रश्न कर रहे हैं तथा उत्तर-प्रत्युत्तर दे रहे हैं; जिनके दलों मे आपराधिक छविवाले प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने के लिए हरी झण्डी दिखा दी गयी है, उन सभी दलों की मान्यता निरस्त कर दे और चुनाव स्थगित करते हुए, सम्बन्धित राज्यों मे ‘राष्ट्रपति-शासन’ लागू करने का मार्ग प्रशस्त कर दे। अनुकूल स्थिति दिखने पर ही चुनाव आयोग को स्वस्थ वातावरण मे चुनाव-प्रक्रियाएँ आरम्भ करने का निर्देश करे।

सत्ता पाने के लिए प्रमुख दलों के मुख्य नेता बेहद घटिया मानसिकता के साथ दिख रहे हैं। उन सभी की पढ़ाई-लिखाई और उनके संस्कार पर थूकने का भी मन नहीं करता। ये सभी एक प्रकार से अवैध क़ानून के गर्भ से पैदा हुए दिखते हैं। वे सब मिलकर देश को बाँट चुके हैं। उनके लिए कोई भी ‘गाली’ उनकी नीचता को कम नहीं कर पाती।

पिछले सात-आठ वर्षों मे जितने भी चुनाव कराये गये हैं, सभी मे उनकी चरित्रहीनता, संस्कारविहीनता, संवेदनहीनता, राजद्रोहपूर्ण आचरण, नीचता की पराकाष्ठा आदिक सुस्पष्ट दिखती आ रही हैं। ऐसे कुण्ठित-लुण्ठित सभी राजनेताओं को नज़रबन्द कर देना चाहिए, अन्यथा वे भारत के अवशेष को भी चबा जायेंगे।

मेरा देश के सर्वोच्च न्यायतन्त्र उच्चतम न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश से अनुरोध है कि वे राजनेता के नाम पर आचरण के स्तर पर दिख रहे गुण्डों-मवालियों को ऐसी सीख सिखायें कि वे देश और देशवासियों के साथ मनमाना करने न पायें।

चुनाव आयोग का मुख्य अधिकारी और उसके सहयोगी निष्पक्ष नहीं हैं, अन्यथा चुनाव-अधिसूचना प्रसारित होने के बाद जिस भी दल की ओर से लगातार आचार संहिता को रौंदा जा रहा है, काररवाई करते।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १९ जनवरी, २०२२ ईसवी।)