जनता राजा – पार्टीलेस डेमोक्रेसी की ओर बढ़ते कदम

‘राष्ट्रहित – जनप्रतिनिधि जनसेवक देशप्रेमियों में निहित’

जैसा कि आप जानते हैं कि हमारे देश भारत का स्तर विश्व के कई दूसरे राष्ट्रों की तुलना में दिन-प्रतिदिन गिरता जा रहा है I सरकार की नीतियों का विरोध करने वालों पर शिकंजा कसा जा रहा है I वहीं कुछ राजनीतिक दल सत्ता प्राप्ति के उद्देश्य से सरकार की नीतियों का जानबूझकर विरोध भी करते हैं I जबकि यह देखा गया है कि सरकार बनाने वाले अधिकतर दल आंदोलनों, धरना-प्रदर्शनों आदि के द्वारा ही सत्ता पे काबिज होते हैं I जातियों व धर्म के नाम पर विभिन्न राजनीतिक दल जनता को आपस में लड़वाकर अपना वर्चस्व कायम करके सत्ता हासिल करते हैं I देखने और सुनने को मिलता है, ‘बहुमत बस में बैठा है’, ‘होटल में कैद है’ I  पर्याप्त बहुमत न मिलने पर भी किसी एक दल के नेता को सरकार बनाने के लिये आमंत्रित किया जाता है और उसे तय तारिख पर बहुमत साबित करना होता है I फिर शुरू होता है सत्ता प्राप्ति का खेल (जोड़-तोड़ की राजनीति), विधायकों/सांसदों को तरह-तरह के प्रलोभन दिए जाते हैं I चुनाव में मिले जनादेश की खुल्ल्म-खुल्ला धज्जियाँ उड़ाई जाती हैं I सरकारें राष्ट्र और राज्य के विकास के नाम पर जनहित के बजाय पार्टीहित, पार्टी-कार्यकर्त्ता हित का ज्यादा ध्यान रखतीं हैं I ये राजनीतिक दल सत्ता में आने पर अपने विपक्षी दलों को कमजोर करने के लिये, उन्हें दोबारा सत्ता में आने से रोकने के लिये, उनके लोगों के खिलाफ आरोप लगाकर विभिन्न तरीकों से जांच एजेंसियों द्वारा छापे डलवाकर, न्यायालयों में मुकदमें चलाकर बदनाम करती हैं I यही है राजनीतिक पार्टियों की पार्टीबाजी I इसी पार्टीबाजी के चलते हमारे अन्नदाता (किसानों), कामगारों, मजदूरों, फ़ौज के सैनिकों, विद्यार्थियों, व्यापारियों और आम जनता का शोषण किया जाता है I 

नतीजा – जनता त्रस्त, राजनीतिक पार्टियां और उनके नेता मस्त I

जरा सोचिये !

क्या इसी राजनीति के लिये हमारे क्रांतिकारियों, देशभक्तों ने इस देश को अंग्रेजों से आजाद करने के लिये अपना बलिदान दिया था ?

        अतः आपसे निवेदन है कि आप राजनीतिक पार्टियों के इस दुष्चक्र से देश की जनता को बाहर निकालकर, राजनीति के स्थान पर ‘राष्ट्रभक्ति’ से इस देश का उत्थान करें I इस उद्देश्य की प्राप्ति हेतु सर्वप्रथम कर्तव्य-परायण निःस्वार्थी जनसेवकों को जनता के बीच से ढूंढ निकालें I इसके लिये सभी राजनीतिक पार्टियां, स्वयंसेवी संगठन, एनजीओ व समाजसेवी संस्थाएं अपने निहित स्वार्थों का त्याग करके एकजुट एवं संगठित होकर, अपने-अपने संगठनों, राजनीतिक पार्टियों में कार्यरत रहते हुए, पार्टीलैस डेमोक्रेसी संगठन के साथ कार्य करें और परस्पर एक-दूसरे के पूरक बनें I

       पार्टीलैस डेमोक्रेसी संगठन का मतलब राजनीतिक पार्टियों का विरोध करना कतई नहीं है I हम चाहते हैं वे ‘पार्टीबाजी’ त्यागकर अपना कार्य एक एनजीओ की तरह करें I जनता के बीच से सुयोग्य उम्मीदवार चुनकर भारतीय संसद, राज्यों की विधानसभाओं व स्थानीय निकायों में भेजें I चुनाव जीतने वाले जन-प्रतिनिधि ‘जन-सेवक’ बनकर देश-सेवा की भावना से इन संवैधानिक संस्थाओं में जायें I वे इन संस्थाओं में पहुंचकर भ्रष्टाचार कर ही न पाएं, इसके लिये हम जनता से अनुरोध करते हैं कि चुनाव के दौरान जब ये उम्मीदवार उनसे अपने या अपनी राजनीतिक पार्टी के पक्ष में मतदान करने के लिये कहें तो जनता उनसे मांग करे कि –

‘हमें शपथ-पत्र दो, हमारा वोट लो’

शपथ-पत्र के द्वारा उम्मीदवार अपने क्षेत्र की जनता से लिखित कानूनी दस्तावेज – एफिडेविट (नोटरी पब्लिक द्वारा सत्यापित) के द्वारा यह वचन देगा कि वह चुनावी नामांकन के समय घोषित चल-अचल सम्पत्ति एवं चुनाव जीतने पर उसके द्वारा प्राप्त की गई पद के वेतन के कुल योग से अधिक चल-अचल सम्पत्ति नहीं बनाएगा I उसके पद के कार्यकाल के दौरान यदि ऐसी कोई भी गैर-कानूनी रूप से अर्जित अधिक सम्पत्ति पायी जाती है तो ऐसी अधिक सम्पत्ति को राष्ट्र की सम्पत्ति घोषित किया जायेगा और उसका उस पद पर चयन रद्द माना जायेगा I उसके इस अपराध के लिये कानूनी दंड का भी प्रावधान होगा I भविष्य में वह किसी भी सरकारी पद पर चुनाव नहीं लड़ पायेगा I इससे काफी हद तक भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी I

        ‘जन-सेवक’ जन-प्रतिनिधि भी संबंधित राजनीतिक पार्टियों, संस्थाओं के दबाव से स्वतंत्र रहें, इसके लिये उसे चुनाव जीत जाने पर अपने संवैधानिक पद की शपथ ग्रहण करने से पहले अपनी राजनीतिक पार्टी, संस्था से त्याग-पत्र देना होगा I जिससे संवैधानिक संस्थाओं में वह अपने बुद्धि, विवेक से स्वतन्त्रतापूर्वक राष्ट्रहित/राज्यहित/क्षेत्रहित के लिये कार्य कर सके I उसको संबंधित राजनीतिक पार्टी, संस्था अपना ‘व्हिप’ जारी करके दबाव ना बना पाएं I

        इस संगठन का मूल उद्देश्य ना वंशवाद, ना परिवारवाद, ना संगठन के किसी पद का आधिपत्य (हाइरार्की), ना ही छोटे या बड़े पद की असमानता अर्थात सभी पदों का महत्व, कार्यभार भिन्न होने पर भी, एकसमान होगा I सबको अपने विचार रखने की स्वतंत्रता होगी I संगठन के निर्णय बहुमत पर आधारित होंगे जिनका संबंधित क्षेत्रों की विशेषज्ञ समितियां निरीक्षण, परीक्षण,जांच एवं आंकलन करके, बहुमत के आधार पर निर्णय लेने के लिये, जन-साधारण के समक्ष जनमत के लिये प्रस्तुत करेंगी I

        यह संगठन ऐसे लोकतंत्र की स्थापना के लिये प्रयत्नशील है जो वास्तव में – जनता का, जनता के द्वारा, जनता के लिये कार्य करे I हमारी भारतीय संविधान में अटूट आस्था, निष्ठा और पूर्ण विश्वास है I

पार्टीलैस डेमोक्रेसी संगठन के बारे में और अधिक जानकारी के लिये पढ़ें पुस्तक: ‘जनता राजा’,

लेखक: विमल कुमार सक्सैना I यह पुस्तक अमेजॉन.इन पर उपलब्ध है I

सम्पर्क सूत्र: विमल कुमार सक्सैना, संस्थापक एवं संयोजक – ‘पार्टीलैस डेमोक्रेसी संगठन’

मोबाइल (व्हाट्सएप): 9818353621 ईमेल: vimalsaxena1959@yahoo.com