कलम यहाँ चलती सदा, लेकर शिव का नाम

"गूंज कलम की " राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था पटना (बिहार) के मुख्य पटल पर आशु लेखन काव्य प्रतियोगिता संपन्न

पटना:- “गूंज कलम की” राष्ट्रीय साहित्यिक संस्था, पटना (बिहार) के मुख्य मंच के व्हाट्स एप समूह पर 31 जुलाई 2022 को रात्रि 9 बजे से 10 बजे तक आशु लेखन काव्य प्रतियोगिता का आयोजन हुआ। मित्रता दिवस के अवसर पर मुख्य संचालिका सुशी सक्सेना इंदौर, (मप्र) के द्वारा दिए गए प्रदत्त विषय ” दोस्ती, मित्रता ” पर काव्य लेखन कार्य किया गया। यह आयोजन लगातार 1 घंटे तक चला। इस आयोजन में मंच पर संस्था अध्यक्ष डॉ. स्नेहलता द्विवेदी पटना (बिहार) से, समूह प्रभारी कृष्ण चतुर्वेदी बूंदी (राजस्थान) से तथा मंच के राष्ट्रीय मीडिया प्रभारी डॉ.राजेश कुमार शर्मा ,भवानी मंडी (झालवाड़) राजस्थान से उपस्थित रहे।

मुख्य संचालिका सुशी सक्सेना इंदौर (मप्र) ने बताया कि प्रतिभागी रचनाकारों में शरद नारायण खरे,मंडला (मप्र), एस के कपूर( बरेली), हेमलता भारद्वाज(इंदौर),महेंद्र राज़ चौहान(अजमेर),शकुंतला श्रीवास्तव(भोपाल), रमा खरे, बांदा (उप्र),सरोज कंवर शेखावत (जयपुर),मीता लुनिवाल (जयपुर),जुगल किशोर पुरोहित (बीकानेर), सीमा शाहजी(झाबुआ,मप्र),आशा बैजल (ग्वालियर), रीता खरे (मुंबई),संत कुमार सारथी (नवलगढ़),पुष्पा निर्मल( बेतिया, बिहार) कृष्ण चतुर्वेदी (बूंदी, राजस्थान), नीति गुप्ता(लुधियाना, पंजाब),सुशी सक्सेना( इंदौर,मध्यप्रदेश) कवि कुमार निर्मल (बेतिया, बिहार) वंदना सिंह (वाराणसी,उत्तर प्रदेश) डॉ.राजेश कुमार शर्मा,भवानी मंडी( झालवाड़, राजस्थान),नीलम नारंग (मोहाली, पंजाब), प्रोफेसर (डॉ.)मीना श्रीवास्तव ‘पुष्पांशी’ (ग्वालियर), नीलम व्यास(जोधपुर), पीयूष राजा (नवादा, बिहार) से उपस्थित रहे। लगातार एक घंटे तक प्रदत्त विषय दोस्ती, मित्रता पर काव्य लेखन कार्य किया गया।
आयोजन का आरंभ पीयूष राजा की कविता इस कविता से हुआ।

” दोस्त ही रिश्तों का अहम किरदार है।”
हृदय में बसता एक दूजे का प्यार है। “

प्रोफेसर मीना श्रीवास्तव ‘पुष्पांशी’ ने मित्र विषय पर दोहे लिखकर कृष्ण सुदामा की दोस्ती का उदहारण देकर बताया कि ऐसे मित्र आज के कलियुग में नहीं मिलते। मंच पर उपस्थित डॉ.राजेश शर्मा ने अपनी कविता—-

” त्याग समर्पण से बनती है दोस्ती।
रिश्तों को प्रगाढ़ करती है दोस्ती। “

सुनाकर वाह वाह बटोरी। वंदना सिंह ने अपनी कविता के माध्यम से———

” गागर में सागर सा समाए हुए।
मिले कृष्ण भाव से यूं नहाए हुए।
सुदामा को देख ऐसे विचलित हुए।
प्रभु प्रेम में मगन सब लुटाए हुए। “

सुनाकर एक बार फिर से कृष्ण सुदामा की दोस्ती की याद दिला दी। कवि कुमार निर्मल जी ने अपनी कविता…..

” सच कहता हूं मैं दोस्त के
कायनात के ज़र्रे ज़र्रे से
मोहब्बत मैं करता हूं। “

सुनाकर अपने मित्र के प्रति प्रेम को दर्शाया है।

आयोजन में मुख्य संचालिका सुशी सक्सेना ने अपने पुराने दोस्तों की याद में…… शानदार कविता सुनाई।

“हर दिन हर पल, कुछ दोस्त पुराने आंखों में उतर आये”

इसके अलावा डाॅ. नीलम ने “वक्त की मेज पर” नीलम नारंग ने, “मत गंवा हुनर अपना” नीति गुप्ता ने, “सखा भाव” पुष्पा निर्मल जी ने, “दोस्ती यारी लगे सबसे प्यारी” संत कुमार सारथी ने मित्रता पर दोहे सुनाए। आशा बैजल की कविता “सखा मित्र हो तो” ने दिल छू लिया। सीमा शाहजी ने, “दोस्ती की नई दुनिया” सरोज कंवर जी ने “दोस्ती की आपसे” जुगल किशोर पुरोहित जी ने अपनी कविता के माध्यम से बचपन के मित्र समर्पित अपनी कविता सुनाई। इसके अलावा मीता लुनिवाल ने “क्या कहूं कैसे होते हैं दोस्त” सुनाई। साथ ही रमा खरे बांदा, शकुंतला श्रीवास्तव, राज़ चौहान, हेमलता भरद्वाज, रीता खरे, एस के कपूर, नीलम व्यास, शरद नारायण खरे सभी की रचनाएं उत्कृष्ट रहीं। जिन्होंने सबके दिल जीत लिए।

आयोजन के अंत में कृष्ण चतुर्वेदी , बूंदी (राजस्थान) ने यह दोहा कहते हुए शामिल सभी कलमकारों और श्रोताओं का हार्दिक आभार व्यक्त कर कार्यक्रम के समापन की घोषणा की।

कलम यहाँ चलती सदा, लेकर शिव का नाम।
सबके हित की कामना, सारी वसुधा धाम।।