नव वर्ष पर कवि-सम्मेलन और सारस्वत सम्मान समारोह सम्पन्न

“सत्य का अवतार हमें चाहिए, दोरंगा सियार नहीं चाहिए।”


नगर इलाहाबाद के अधिवक्तागण की संस्था ‘आवाज़ फाउण्डेशन’ की ओर से कुंजपुर गेस्ट हाऊस, अशोक नगर, इलाहाबाद में कल एक भव्य कवि-सम्मेलन का आयोजन किया गया था। समारोह के मुख्य अतिथि भाषाविद् और समीक्षक डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय थे।
समारोह का समारम्भ शिवराम उपाध्याय ‘मुकुल मतवाला’ के माँ शारदा-स्तवन से हुआ; पुरुषार्थ-प्रतीक, भारतीय संस्कृति के उन्नायक स्वामी विवेकानन्द का भावपूर्ण स्मरण किया गया, तत्पश्चात कवि-सम्मेलन प्रारम्भ हुआ।
प्रथम रचनाकार के रूप में संगीता गुप्ता ने “सत्य का अवतार हमें चाहिए, दोरंगा सियार नहीं चाहिए’ सुनाकर देश के राजनीतिक यथार्थ को बहुविध उजागर किया।
डॉ० प्रदीप चित्रांशी ने “पत्नी जी जेलर बनीं, सरहज पहरेदार। होली फीकी हो गयी, बिन साली दीदार।।” दोहा सुनाकर वाहवाही लूटी।
डॉ० वीरेन्द्र कुमार तिवारी ने कुछ इस तरह से भारतीय नव वर्ष की शुभ कामना दी, “बनी रहे सबके चेहरे पर, मधुर-मधुर मुसकान। दु:ख-सुख दोनों में हम सबके भाव हो एक समान।।”
मुकुल मतवाला ने ‘मधुशाला’ के समानान्तर अपनी रुबाइयाँ सुनाकर मैकश, मैख़ाना तथा मतवाला प्रतीकों के माध्यम से श्रोताओं को जीव, आत्मा तथा ब्रह्म से जोड़ते हुए वातावरण को अध्यात्ममय बना दिया।
डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय ने स्याह निराशा में आशा का विविध रंग भरते हुए, एक ग़ज़ल पेश की, “पृथ्वी तेरे सीने पर है क़ुद्रत का हर रंग, पतझर से जूझते अमलतास लिखता हूँ।
इनके अतिरिक्त कमला प्रसाद गिरि, गोविन्द स्वर्णकार, अशोक त्रिवेदी, अरुण शुक्ल आदि ने अपनी काव्यात्मक अभिव्यक्ति की।
कवि-सम्मेलन का संचालन शिवराम उपाध्याय ‘मुकुल मतवाला’ ने किया।
कवि-सम्मेलन के उपरान्त उपर्युक्त कवयित्री-कविगण का सारस्वत सम्मान किया गया। उन्हें नव वर्ष की दैनन्दिनी भी भेंट की गयी। समारोह का संयोजन राजेश्वर सिंह ने किया।