
केन्द्र की मोदी सरकार की घुटने के प्रत्यारोपण के खर्चे में 65 फीसदी की भारी कटौती जनता के लिए बड़ी सौगात है । देश में आर्थराइटिस और वजन बढ़ने के कारण घुटनों की बीमारी तेजी से पाँव पसार रही है । एक समय पर घुटने की हालत ऐसीहो जाती गै कि वह जाम हो जाता है । ऐसे में सर्जरी के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचता है । सर्जरी चाहें छोटी हो या बड़ी एक खर्चीली प्रक्रिया है । खासकर जब घुटने का प्रत्यारोपण किया जाता है तो आर्टीफीशियल डिस्क की जरूरत होती है । मेड़िकल साइन्स जिस तरह आगे बढ़ रही है यह निदान के साथ ही खर्चीली भी होती जाती है । ऐसे में सरकार द्वारा सर्जरी के लिए होने वाले खर्च में कमी एक सुखद सन्देश साबित होता है ।