आचार्य पण्डित पृथ्वीनाथ पाण्डेय की पाठशाला

बंटाधार या बण्टाधार की जगह उपयुक्त शब्द है 'बँटाधार'

अध: टंकित शब्दोँ मे से कौन-सा शब्द उपयुक्त है?
१– बँटाधार
२– बण्टाधार
३– बण्टाढार
४– बँटाढार
५– इनमे से कोई नहीँ। (फिर कौन-सा शब्द है?)

उत्तर– १– बँटाधार

शब्द-विवेचन– जो शब्द सर्वत्र प्रचलित है, वह ‘बंटाधार’ और ‘बण्टाधार’ है। यही कारण है कि बहुसंख्यजन उन्हीँ शब्दोँ को उपयुक्त मानते आ रहे हैँ, जबकि ऐसी मान्यता अस्वीकार्य है; क्योँकि उपयुक्त शब्द ‘बँटाधार’ है। यह शब्द स्थानिक है। हम इसे बोली के अन्तर्गत प्रयोग करते आ रहे हैँ।

हम यदि ‘बंटाधार’ वा ‘बण्टाधार’ शब्द पर विचार करते हैँ तब प्रथमत:/सर्वप्रथम हमारे सम्मुख व्याकरण का वह नियम आता है, जिसके अन्तर्गत हिन्दी के तत्सम/शुद्ध शब्द के अतिरिक्त किसी अन्य हिन्दी-भाषा शब्द मे अनुस्वार (ं ) का व्यवहार नहीँ किया जाता। चूँकि स्थानिक भाषा (बोली) का कोई निर्धारित व्याकरण नहीँ होता अत: वहाँ अनुस्वार-प्रयोग का नियम लागू नहीँ होता। हम इसे अपवाद के रूप मे कह सकते हैँ। जैसे– भंटा, कंचा, झंडा इत्यादिक।

बंटाधार’ का ‘बंटा’ शब्द संस्कृत के ‘वटक’ से निर्गत हुआ है, जोकि ‘लपेटना’ के अर्थ मे ‘वट्’ धातु का शब्द है, जिसमे ‘कन्’ प्रत्यय के जुड़ते ही ‘वटक’ शब्द की उत्पत्ति होती है। ‘वटक’ शब्दभेद के विचार से संज्ञा का शब्द है तथा लिंगदृष्टि से पुंल्लिंग-शब्द। ‘बंटा’ का अर्थ है, ‘गोलाकार छोटा डिब्बा’। हम यदि इसमे ‘धार’ शब्द को जोड़कर भी कोई सार्थक शब्द निकालना चाहेँ तो विफलता (‘असफलता’ अशुद्ध है।) ही हाथ लगेगी।

इसप्रकार यह सिद्ध हो गया कि ‘बंटाधार’/’बण्टाधार’ उपयुक्त/सार्थक शब्द नहीँ है, जबकि शब्दकोशकार एवं अन्य विद्वज्जन (‘विद्वतजन’ और ‘विद्वतजनों’ अशुद्ध हैँ।) ‘बंटाधार’ का प्रयोग ‘चौपट’, ‘सत्यानाश’, ‘विनाश’ इत्यादिक के अर्थ मे करते आ रहे हैँ, जोकि आपत्तिजनक कृत्य है।

हम अब उपयुक्त और सार्थक विशेषण शब्द ‘बँटाधार’ पर विचार करेँगे।

इसमे दो उपशब्द हैँ :– ‘बँटा’ और ‘धार’, जिनसे ‘बँटाधार’ शब्द का सर्जन (‘सृजन’ अशुद्ध है।) होता है। इसे संस्कृत मे ‘विनष्ट आधार’ कहा गया है। इस दृष्टि से यदि ‘आधार’ ही पूर्णत: ध्वस्त हो जाये तो उसे ‘विध्वंस’ कहा जाता है।

इसप्रकार यह सिद्ध होता है कि उपर्युक्त (‘उपरोक्त’ अशुद्ध है।) शब्दोँ मे से एक ही शब्द उपयुक्त है, जोकि ‘बँटाधार’ है।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १५ नवम्बर, २०२४ ईसवी।)