आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय का मुक्त पत्र न्यू इण्डिया की मोदी-सरकार के नाम

‘न्यू इण्डिया’ की मोदी-सरकार!

अब तुम्हीं बताओ, हमारी गृहस्थी कैसे जीवित रहेगी? हमें महँगाई से मारने से अच्छा होगा, अपने कट्टर हिन्दूवादियों को लगाकर हमें इस दुनिया से विदा करा दो या फिर तुम विदा हो जाओ।

मत भूलो मोदी-सरकार! अतिवाद की एक सीमा होती है। हमारे जीवन के हर हिस्से में बलात् प्रवेश करते हुए, तुमने हमारी ‘निजता’ का अपहरण किया; हमारे आर्थिक संसाधनों को तुमने इतना जटिल बना दिया कि हम अपने परिवार को उपलब्ध नहीं करा पाते; हम छटपटा कर रह जाते हैं, जिसकी मुक्त अभिव्यक्ति करने के लिए तुम हमें अवसर देती हो। तुमने बैंकों में हमें प्राप्त होनेवाले ब्याज में भी सेंध लगायी और उसे नगण्य प्रतिशत कर दिया।

मोदी-सरकार! तुम्हारे पास केन्द्रीय कर्मचारियों पर दीपावली का तोहफ़ा लुटाने के लिए रुपये हैं और जब हमारे भारत देश के शिक्षित युवावर्ग और अन्नदाता किसानवर्ग को निश्शुल्क साधन-सुविधाएँ देने की बात आती है तब तुम हाथ खड़े कर देती हो। इसमें मैं तुम्हारा दोष नहीं मानता, बल्कि एक सिरे से उन शिक्षित बेरोज़गारों और असहाय किसानों को मैं दोषी ठहराता हूँ, जो तुम्हारा विकल्प पूछकर अपनी ही ‘मड़ई’ के छप्पर में आग लगाने का काम पिछले छ: वर्षों से करते आ रहे हैं; अधिकतर तो दारिद्र्य-जीवन जीने की स्थिति में आ चुके हैं, बावुजूद ‘तुम्हारा सम्मोहन’ वशीभूत किये हुए है, जिसे तुम पहले से ही भाँप चुकी हो।

तुम किसी की भी कमर तोड़ने में प्रवीण हो; क्योंकि तुम पर जो व्यक्ति सवार है, वह सिर्फ़ “सबका साथ-ख़ुद का विकास” करता आ रहा है, जो अब “सबका साथ-जनता का विनाश” सिद्ध होने लगा है।

तुमने तो देश के पिछड़ेपन और अधोपतन के सभी आँकड़े छुपा रखे हैं; लेकिन अच्छी तरह से जान लो, सच कभी छुपता नहीं। कोरोनाकाल में लगभग ७० लाख लोग अपनी नौकरियों से हाथ धो चुके हैं; उनका परिवार दुरवस्था को प्राप्त कर चुका है और तुम्हारे समर्थन में अब भी खड़ा होकर “नमो-नमो” करता, अत्यन्त देशघातक ‘मध्यम वर्ग’ ‘भीख’ माँगने की स्थिति में आनेवाला है; क्योंकि इतिहास साक्षी है कि देश को बरबादी की ले जाने में सर्वाधिक योगदान ‘मध्यम वर्ग’ का ही रहा है, जो पृथकतावादी जातीय और वर्गीय मनोवृत्ति से ग्रस्त रहा है।
तुम हर क्षेत्र में दयनीय स्थिति में हो। असंघटित-संघटित आर्थिक क्षेत्रों में तुम ‘बदतर’ दशा को प्राप्त कर चुकी हो, जिसका सर्वाधिक प्रभाव हम मध्यम वर्ग पर प्रत्यक्षत: पड़ा है। सच तो यह है कि तुम उन ‘उद्योगपतियों’ की चहेती बन चुकी हो, जो दशकों से ‘समानान्तर सरकार’ चलाते आ रहे हैं; काले धन के बल पर अपना अखण्ड साम्राज्य स्थापित कर चुके हैं तथा मध्यम-निम्नवर्ग के सारे मौलिक स्रोतों में ‘मट्ठा’ डालने का काम करते आ रहे हैं, जबकि ये वर्ग ‘सिफ़लिस’ के रोगी की तरह से चादर ताने सोये हुए हैं।

हाँ, इसके बाद भी तुम्हें अति प्रसन्न होने की आवश्यकता नहीं है; क्योंकि जिस तरह से देश की जनता ने ‘संयुक्त प्रगतिशील गठबन्धन’ की सरकार की कमर तोड़ी थी, न्यू इण्डिया की मोदी-सरकार कहलानेवाली तुम्हारी कमर भी तोड़ी जायेगी, समय की प्रतीक्षा करो।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २२ अक्तूबर, २०२० ईसवी।)