गीत- बरसात में गाँव

अनीता सिंह-


1

अँगना से न सूझे देहरिया
ई भादो के रात भेआओन
घटाटोप घनघोर अन्हरिया।

धनहर खेती माँगे पानी
गोरु माँगे कुट्टी सानी
घर बाहर सब पानी पानी
खपरा मांगे छप्पर छानी।
बादल में छुप गेल अँजोरिया
घटाटोप घनघोर अन्हरिया।

सिमसीम चूल्हा लकड़ी काठी
ठंढा अदहन चावल साठी
चहुँओर है पीछील माटी
पिछुआरे के टूटल टाटी
जी घबराये दिन दुपहरिया
घटाटोप घनघोर अन्हरिया।

कोने कोने दादुर बोले
साँझ सकारे बादूर डोले
सुरुज दिनभर आँख न खोले
चोर चुहेरा गाँठ टटोले
असगर कइसे रहे मेहरिया
घटाटोप घनघोर अन्हरिया।