नगर पालिकाध्यक्ष पद के लिए भाजपा के कमल चुनाव चिन्ह के लिए सुख सागर मिश्र मधुर ने भी दावेदारी ठोंकते हुए पार्टी को आवेदन दे दिया।लेकिन आवेदन पर कोई विचार होता उससे पहले ही पत्र लीक हो गया तो चकचक मची जिसके बाद मधुर ने यह सफाई दी है कि उन्होंने आवेदन नही लिखा किसी ने न जाने कैसे आवेदन कर दिया।
नगर पालिका परिषद के साल-1995 में अध्यक्ष निर्वाचित हुए सुखसागर मिश्रा ‘मधुर’ ने चुनाव में भाजपा के सिम्बल के लिए आवेदन किया है यह बात बाहर आई तो भाजपा के गलियारों में सरगर्मी बढ़ गई। असल में भाजपा जिलाध्यक्ष को सम्बोधित मधुर का आवेदन पार्टी दफ़्तर में मौजूद है। अलग बात है कि आवेदन में पत्रांक और दिनांक का उल्लेख नहीं है। हालांकि, मधुर ने भाजपा के सिम्बल के लिए आवेदन देने से पल्ला झाड़ा है।मधुर 1995 से 2005 तक पालिकाध्यक्ष पद के लिए 03 बार निर्दल मैदान में उतरे। पहले प्रयास के अलावा वह कामयाब नहीं रहे। उन्होंने वर्ष-2008 का विधानसभा उपचुनाव सपा और 2012 का आमचुनाव कांग्रेस के सिम्बल पर लड़ा। फ़िलहाल वह कांग्रेस में ही हैं।सियासी गलियारों में दावे के साथ लोग कहते सुने गए कि मधुर सपा के सिम्बल पर लड़ेंगे।भाजपा दफ़्तर से प्रकट हुए मधुर के आवेदन ने हलचल को नई दिशा ही दे दी।मधुर ने इस मामले पर कहा कि उन्होंने भाजपा को कोई आवेदन नहीं दिया है और ना ही पार्टी की सदस्यता ली है। बोले, नहीं जानते कि उनके नाम का आवेदन भाजपा दफ़्तर कैसे पहुंचा।