मानवपुराण : व्यावहारिक दृष्टि मे समाज

मानवपुराण

व्यावहारिक दृष्टि से समाज में मनुष्यों के तीन प्रकार हैं-
मूर्ख, धूर्त, सज्जन

सज्जनों का 2+2 = 4 होता है।
धूर्तों का 2+2 = 3 या 5 होता है।
मूर्खों का 2+2 = 0 होता है।

सत्य के अनुगामी जन ही सज्जन कहलाते हैं।

दुष्टता के अनुगामी जन ही दुर्जन या धूर्त कहलाते हैं।
पशुता के अनुगामी जन ही मूर्ख कहलाते है।

मनुष्य एक बुद्धिमान प्राणी है।
लेकिन इस बुद्धि का विकास परिश्रमपूर्वक सुशिक्षित होने से ही उपलब्ध होता है।
और जिनका बौद्धिक विकास पर्याप्त मात्रा में नहीं हुआ वे ही मूर्ख रह जाते हैं।
ये मूर्ख मनुष्य ही धूर्तों द्वारा अपने साथ हो रहे अन्याय को ठीक से देख-समझ नहीं पाते और अपने समस्त मानवाधिकार और जनाधिकार और विशेषाधिकार सब खो बैठते हैं।

कुशिक्षित कुसंस्कृत मनुष्य ही दुर्ज्ञानवश पंचदोष से ग्रस्त होकर धूर्त हो जाता है।
कुशिक्षा से विकसित हुआ मन ही उसे धूर्त बना देता है और वह मूर्खों के साथ पंचकूटनीतियों (साम, छल, दण्ड, दान, भेद) का प्रयोग करके उन मूर्खों के सारे हिताधिकार हड़प लेता है।

सारा समाज इन मूर्खों और धूर्तों की अद्भुत नारकीय क्रीड़ास्थली बन जाता है।
सज्जनों की अनुपस्थिति में यह सारा समाज दो भागों में विभक्त हो जाता है – शोषित और शोषक।
मूर्ख शोषित होता है और धूर्त शोषक बन जाता है।

यदि सौभाग्यवश कभी सुशिक्षा और सुसंस्कारिता का कोई AAP जैसा प्लेटफॉर्म बना तो समाज मे कुछ लोग सत्दर्शन आदि शुद्ध विषयों को पढ़कर सुशिक्षित और सुसंस्कृत होकर सज्जनता को प्राप्त होने लगते है।
वे इन मूर्खों और धूर्तों की जमात से बाहर निकलकर सज्जन हो जाते हैं।

सज्जन सदैव न्यायप्रिय होते हैं।
वे इन मूर्खो को धूर्तों के पंचकूटनैतिक चंगुल से छुड़ाने के लिए न्यायव्यवहार को स्थापित करने के प्रयत्नों में स्वत: संलग्न हो जाते हैं।

सज्जन लोग इन मूर्खों को अशिक्षा, बेरोजगारी, असुविधा असुरक्षा से निकालने को रातोदिन व्याकुल रहते है।

धूर्त लोग इन सज्जनों का मजाक उड़ाते हैं, धमकाते है, खतरे दिखाते हैं।
भय उत्पन्न करते हैं, लालच देते हैं, न्याय के मार्ग से हटाने का सब प्रयत्न करते हैं लेकिन सज्जन लोग तो स्वभावतः होते ही न्यायप्रिय हैं।
अतः सज्जन लो न्याय के मार्ग पर ही अडिग रहते हैं।
और एक दिन न्याय को स्थापित करके इन धूर्तों के चंगुल से मूर्खों को निकालकर उन्हें ही नहीं बल्कि पूरे समाज को सद्गुण, समृद्धि, सुख और स्वतंत्रता प्रदान करते हैं।

उम्मीद है आपको AAP यानि आमआदमीपार्टी व उसके मुखिया श्री अरविंद केजरीवाल जी द्वारा शुरू की गई भारतीय महामानवपुराण की महिमा समझ मे आ गयी होगी!

यही मानवसमाज की सत्यकथा है।

राम गुप्ता (स्वतंत्र पत्रकार)
अति साधारण कार्यकर्ता/प्रचारक
आमआदमीपार्टी, उत्तरप्रदेश