जीएसटी प्रणाली में व्यापारियों के उत्पीड़न को बढ़ावा देने वाले प्रविधानों को वापस लेने हेतु सौंपा ज्ञापन


● गुड्स एंड सर्विस टैक्स के व्यापारियों के उत्पीड़न को बढ़ावा देने वाले नए प्रावधानों के विरोध में एवं उनको हटाने तथा जीएसटी की वर्तमान प्रणाली को सरल बनाने के लिए राजधानी के व्यापारियों ने जीएसटी कमिश्नर को प्रधानमंत्री के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा ।

व्यापारी की गलती होने पर बिना नोटिस व्यापारी के पंजीयन को निरस्त करने के अधिकार से व्यापारियों का होगा उत्पीड़न : संजय गुप्ता

●‍ धारा 129 (1) में किए गए संशोधन के अनुसार हिरासत में लिए गए या जब्त किए गए माल और वाहन को छोड़ने के लिए 100% से 200% तक जुर्माने के प्रावधान से अधिकारी करेंगे मनमानी : संजय गुप्ता

उत्तर प्रदेश आदर्श व्यापार मंडल एवं कनफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स के बैनर तले व्यापारी नेता प्रांतीय अध्यक्ष संजय गुप्ता के नेतृत्व में बुधवार को 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने गोमतीनगर स्थित जीएसटी मुख्यालय (वाणिज्य कर) में जीएसटी आयुक्त श्रीमती अमृता सोनी को वर्तमान जीएसटी प्रणाली में व्यापारियों के उत्पीड़न को बढ़ावा देने वाले प्रविधानों को वापस लेने तथा जीएसटी को सरल कर प्रणाली बनाने हेतु प्रधानमंत्री को संबोधित ज्ञापन सौंपा ।

व्यापारी नेता संजय गुप्ता ने कहा जी एस टी धीरे-धीरे व्यापारियों के लिए मुसीबत बनता जा रहा है । जब से जीएसटी लगा है तब से 937 संशोधन इसमें हो चुके हैं । उन्होंने कहा अधिसूचना संख्या 01 /2021 केंद्रीय कर, नई दिल्ली और अधिसूचना संख्या 94/ 2020 ने ईमानदार करदाताओं के हाथों में फंदा डाल दिया है । उन्होंने कहा जीएसटी के नए प्रावधानों के अनुसार आपूर्तिकर्ता द्वारा gstr-1 में चालान और डेबिट नोट का विवरण नहीं प्रस्तुत किया गया तो iff/gstr-2b का उपयोग कर प्राप्तकर्ता को आईटीसी नहीं मिलेगा उन्होंने कहा यह प्रावधान वापस लिया जाना चाहिए इससे व्यापारियों का उत्पीड़न बढ़ेगा, उन्होंने कहा कि जीएसटी अधिनियम की धारा 129 (1) (क) में संशोधन किया गया है । जिसके अनुसार हिरासत में लिए गए /जब्त किए गए माल और वाहन को छोड़ने से पहले जुर्माने के रूप में 100% से 200% तक जुर्माना वसूलनेे का प्रावधान है ।

उन्होंने कहा कि जीएसटी अधिनियम की धारा 75 (12) में जोड़े जाने वाला प्रस्तावित संशोधन के अनुसार अगर गलती से कोई व्यक्ति gstr-1 और gstr-3b में गलत आंकड़ा भर देता है तो अंतर को उसके स्व मूल्यांकन कर के रूप में माना जाएगा और उसकी वसूली सीधे धारा 79 के तहत की जा सकती है ।

उन्होंने कहा कर के भुगतान के लिए चालान की तिथि दस्तावेज होनी चाहिए ना कि फॉर्म gstr-3b राष्ट्रीय अग्रिम नियम प्राधिकरण का गठन होना चाहिए। अपीलीय न्यायाधिकरण का गठन होना चाहिए । प्रत्येक जिले में जीएसटी समिति का गठन होना चाहिए जिसमें वरिष्ठ विभागीय अधिकारी और व्यापारी नेता भी शामिल हो उन्होंने कहा यदि ई वे बिल पोर्टल के साथ साथ किसी भी अनुपालन के लिए जीएसटी पोर्टल में कोई परिवर्तन किया जाता है तो उसी तरह करदाताओं को भी ईमेल s.m.s. व्हाट्सएप के माध्यम से सूचित किया जाना चाहिए ।

प्रतिनिधिमंडल में संगठन के प्रदेश उपाध्यक्ष अविनाश त्रिपाठी ,प्रदेश कोषाध्यक्ष मोहम्मद अफजल, लखनऊ के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह, ट्रांस गोमती के अध्यक्ष अनिरुद्ध निगम, फैजाबाद रोड के उपाध्यक्ष संजय अग्रवाल शामिल थे ।