हमारे देश के हिन्दी-माध्यम मे अध्यापन करनेवाले शिक्षिका-शिक्षकवृन्द!
‘यस मैम’ और ‘यस सर’ के स्थान पर ‘जी महोदया’ और ‘जी महोदय’ का प्रयोग आरम्भ करायें। अँगरेज़ी के वे शब्द, जिनका समाज मे सामान्यत: प्रयोग होता रहता है और जिनका सार्थक हिन्दी है, उनका हिन्दी-शब्दव्यवहार करें-करायें; जैसे– यस, नो, ओ यस, स्ट्युडेण्ट, टीचर, स्कूल, कॉलेज, डिग्री कॉलेज, ऐडमिशन, सर्विस, कण्डीडेट, एलेक्शन, लॉ, इग्ज़ामिनेशन, काम्पिटिशन, युनिवर्सिटी, नो डाउट, बट, हाऊस, होम, बुक, क्वेश्चन पेपर, आँसर शीट, वोट, रोड, सर्विस, ऑफ़िस, डिपार्टमेण्ट, युनियन आदिक लाखों शब्द।
क्लास के स्थान पर ‘कक्षा’ तथा ‘मॉनिटर’ के स्थान पर ‘कक्षा-प्रतिनिधि’ का प्रचलन करायें, तभी आप ‘अध्यापिका-अध्यापक’ कहलाने का गौरव प्राप्त कर सकते हैं।
आपको यदि हिन्दी-माध्यमके शिक्षण-प्रशिक्षण-संस्थानो मे अँगरेज़ी-प्रयोग के प्रति इतना ही मोह हो तो उपयुक्त स्थलों पर अँगरेज़ी मे धाराप्रवाह सम्बोधन करें और पत्र-पत्रिकाओं मे लेखन करें।
व्यक्ति को अपने विषय मे उतना ही प्रकट करना चाहिए जितना वह ‘भीतर’ से होता है।
(सर्वाधिकार सुरक्षित― आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; १४ सितम्बर, २०२३ ईसवी।)