‘नाटो’ ने मनबढ़ चीन को घेरने की रणनीति बनायी

त्वरित टिप्पणी——

—आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय

संयुक्त राज्य अमेरिका के प्रभाव में काम करनेवाले अति महत्त्वपूर्ण सैन्य गठबन्धन नाटो/नैटो– N.A.T.O. (नॉर्थ एटलाण्टिक ट्रीटी ऑर्गनाइज़ेशन) ने चीन की अतिवादी साम्राज्यवादी नीति को ध्वस्त करने के लिए अपनी सामरिक नीति पर काम करना शुरू कर दिया है।

उल्लेखनीय है कि वर्तमान में, नाटो में कुल तीस सदस्य-देश हैं, जिनमें संयुक्त राज्य अमेरिका, ग्रेट ब्रिटेन, फ्रांस, कनाडा आदिक देश सम्मिलित हैं।

नाटो के ‘अनुच्छेद पाँच’ के अनुसार, यदि नाटो के किसी भी सदस्य-देश पर किसी भी तरह का ख़तरा दिखता है तो उसके समस्त सदस्य एकजुट होकर मोर्चा खोल देंगे। इस तरह से यदि आक्रमण हुआ तो चीन का ध्वस्त होना तय है। दूसरी ओर, ऑस्ट्रेलिया ने चीन को माकूल जवाब देने के लिए अपना मोर्चा खोल दिया है। इस प्रकार चीन को चारों ओर से घेरने के लिए सुदृढ़ व्यूह-रचना करने की तैयारी शुरू हो चुकी है। नाटो’ भी चीन के विरुद्ध अपना मोर्चा खोलने की रणनीति में लग गया है।

ज्ञातव्य है कि चीन सबसे पहले दक्षिण एशिया में अपनी प्रभुसत्ता स्थापित कर, स्वयंभू बादशाह बनना चाहता है, जहाँ से वह अपने विजयरथ की सत्ता-महत्ता को वैश्विक मंचों पर प्रदर्शित कर अपना दबदबा बनाना चाहता था। इसके लिए उसने अति प्रभावकारी देश भारत पर प्रभुता स्थापित करने के लिए उसके विरुद्ध भड़काऊ क्रिया-प्रतिक्रिया की थी, जो कि भारत के लिए कम चुनौतीपू्र्ण नहीं है। अब देखना है, राजनीति से परे रहकर भारत की सेना किस तरह से अपनी रणनीति बनाती और उसका क्रियान्वयन् करती है?


(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; २० जून, २०२० ईसवी)