डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय –
आज देश की प्राथमिक शाला से लेकर उच्चस्तरीय शिक्षालयों का ‘सच’ सामने लाने की आवश्यकता है। लोग इतने कमज़ोर हो चुके हैं कि यथार्थ को सुन और देख नहीं सकते, विरोध करने की बात तो बहुत दूर है।
अपने देश के विद्यार्थियों को अपंग बनाया जा रहा है; शिक्षा को ज्ञान नहीं, ‘व्यापार’ का केन्द्र बना दिया गया है? जो अध्यापक ढंग से पढ़ा नहीं पाते, उनके विरुद्ध विद्यार्थी भयवश आवाज़ नहीं उठा पाते। अन्तत:, उन्हें प्रकारान्तर से ‘कोचिंग संस्थानों’ में जाना पड़ता है। कोचिंग में जाने पर दिखता है कि जो अध्यापक विद्यार्थियों को ढंग से स्कूल-कॉलेजों में पढ़ाया नहीं करते थे, वही अध्यापक कोचिंग संस्थानों में पूरी रुचि के साथ ढंग से पढ़ाते हैं। आज देश के कोचिंग संस्थानों के भविष्य बनाने और अपने स्कूल-कॉलेजों , महाविद्यालयों तथा विश्वविद्यालयों को बिगाड़ने में इसी क़िस्म के बाज़ारू अध्यापकों की भूमिका रहती है। हमारे देश का विद्यार्थी आई०ए० एस०, पी०सी० एस०, इंजीनियरिंग, मेडिकल आदिक उच्चस्तरीय सेवाओं के लिए अध्ययन करता है और अन्त में सफलताओं की सीढ़ियों से लुढ़कते हुए आकर, ‘क्लर्क’ भी बनने के लिए तरस जाता है।
एक बात और, ‘बी० एच० यू०’ ही नहीं, देश के लगभग सभी विश्वविद्यालयों में अपंग और अपाहिज़ प्रशासन-व्यवस्था है। जब तक राजनीति का काला साया शिक्षणसंस्थानों पर पड़ता रहेगा, सकारात्मक परिदृश्य लक्षित नहीं हो सकेगा। अब समय आ गया है, माँ-बाप अपनी व्यस्तता को कम कर अपनी जागरूकता का चाबुक शैक्षिक प्रबन्धन-तन्त्र पर समय-समय पर लगाते रहें।
(यायावर भाषक-संख्या : ९९१९०२३८७०, prithwinathpandey@gmail.com)