प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की प्रशंसा करते हुए कहा है कि यह वैश्विक मानकों के अनुरूप अत्याधुनिक नीति है। उन्होंने कहा कि नई नीति जाने माने शिक्षाविद और पूर्व राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के दृष्टिकोण के अनुरूप ही है। भारतीय विश्वविद्यालयों के संघ की राष्ट्रीय बैठक तथा कुलपतियों के राष्ट्रीय सेमिनार में र्चुअल माध्यम से श्री मोदी ने कहा कि केन्द्र, देश में संस्थागत और शैक्षिक मजबूती पर ध्यान दे रहा है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में एनईटीएफ का भी प्रावधान है। जो शिक्षा में टेक्नोलॉजी के ज्यादा से ज्यादा इस्तेमाल पर जोर देता है। हम ये चाहते हैं कि सारी यूनिवर्सिटी मल्टी डिसीप्लिनरी में रहे। हम स्टूडेंट्स को फ्लैक्सीब्लिटी देना चाहते हैं, जैसे इजी एंट्री-एग्जिट और एकेडेमिक बैंक ऑफ क्रेडिट बनाकर आसानी से कहीं भी कोर्स पूरा करना। इन सभी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए देश की हर यूनिवर्सिटी को साथ मिलकर एक-दूसरे से तालमेल बिठाकर काम करना ही होगा।
श्री मोदी ने कहा कि बच्चे विशेष क्षमताओं से सम्पन्न होते हैं। संस्थागत मजबूती के साथ उनकी संकल्प शक्ति को बल देने से उन्हें मानसिक और नैतिक रूप से मजबूत बनाया जा सकेगा। प्रधानमंत्री ने युवाओं और उनके कौशल पर ध्यान देने की आवश्यकता पर जोर देते हुए कहा कि आत्मनिर्भर भारत का सपना केवल युवाओं के सक्रिय योगदान से ही हासिल किया जा सकता है।
आज जैसे-जैसे देश आत्मनिर्भर भारत अभियान को लेकर आगे बढ़ रहा है। स्किल युवाओं की भूमिका और उनकी डिमांड भी बढ़ती जा रही है। डॉ0 श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने स्किल्स की इसी ताकत को देखते हुए देश को पहले शिक्षण संस्थानों और उद्योगों के कोलोब्रेशन पर बहुत जोर दिया था। आज तो देश के पास और भी असीम अवसर हैं और भी आधुनिक दौर के नए उद्योग हैं। आर्टिफिशियल इनटेलीजेन्स, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और बिग डेटा से लेकर थ्रीडी प्रिंटिंग, वर्चुअल रिएलिटी, रोबोटिक्स आज दुनिया में भारत फ्यूचर सेंटर के रूप में देखा जा रहा है।
भारत रत्न बाबा साहेब डॉ0 भीमराव आम्बेडकर का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा कि उनकी सीख से देशवासियों को शांति तथा सफलता के मार्ग पर चलने में मदद मिली है।