आज होगी किसानों की अभूतपूर्व महापंचायत


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आज (५ सितम्बर) आन्दोलनरत किसान-संघटनों की महापंचायत मुजफ़्फ़रनगर (उत्तरप्रदेश) के राजकीय इण्टर कॉलेज-परिसर में होगी, जिसमें ‘पाँच से दस लाख’ किसानों की भागीदारी की सम्भावना व्यक्त की गयी है। इसमें कुल ३२० किसान-संघटन शामिल हैं और २२ राज्यों के प्रतिनिधियों की सक्रिय भूमिका है।

यह महापंचायत ‘न्यू इण्डिया की मोदी-सरकार’-द्वारा
लागू किये जानेवाले किसान-विरोधी तीन क़वानिन (‘क़ानून’ का बहुवचन) को वापस लेने और करनाल (हरियाणा) में अपने अधिकार के लिए पिछले १० माह से लगातार आन्दोलन कर रहे किसानों पर वहाँ के तत्कालीन एस० डी० एम० आयुष सिनहा के उकसाने पर पिछले दिनों पुलिसबल-द्वारा बर्बरतापूर्वक लाठियों से प्रहार करने से रक्तरंजित किसानों के समर्थन में आवाज़ बलन्द (‘बुलन्द’ अशुद्ध शब्द है।) करने, बेलगाम होती महँगाई, पेट्रोल-डीज़ल-रसोईगैस के मूल्यों में मनमाने ढंग से की जा रही बढ़ोतरी, अपराध, सरकार की मनबढ़ नीतियों आदिक के विरोध में होगी।

इस महापंचायत में देश के कई राज्यों के किसान-संघटनों के नेता और उनके अनुयायी सम्मिलित होंगे। यह महापंचायत एक प्रकार से किसान-संघटनों के ‘शक्तिप्रदर्शन’ की परिसूचिका होगी।

उल्लेखनीय है कि इस समय पश्चिम उत्तरप्रदेश में ‘भारतीय जनता पार्टी’ के नेता :– नरेन्द्र मोदी, अमित शाह तथा उत्तरप्रदेश के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ की किसान-विरोधी नीतियों के विरुद्ध यह महापंचायत घातक सिद्ध हो सकती है; क्योंकि इसमें जाटों और मुसलमानों की बड़ी संख्या में भागीदारी हो रही है, जो उत्तरप्रदेश की वर्तमान सरकार के लिए एक महाचुनौती सिद्ध होनेवाली है; क्योंकि उत्तरप्रदेश-विधानसभा के चुनाव होने में अब कुछ ही माह रह गये हैं, जिसमें पश्चिमी उत्तरप्रदेश के जाटों और मुसलमानों की सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण भूमिका रहेगी।

दूसरी ओर, विपक्षी दलों ने इस महापंचायत का समर्थन करने का निर्णय किया है, जिनमें समाजवादी पार्टी, काँग्रेस, आम आदमी पार्टी, बहुजनसमाज पार्टी आदिक राजनैतिक दलों की परोक्ष रूप से भागीदारी रहनी तय है। किसान-संघटनों ने ‘समाजवादी पार्टी’ के पक्ष में अपना समर्थन और मतदान करने का पहले ही संकेत कर दिया है। यह भी हो सकता है कि अपने हितों को साधने के लिए किसान-संघटन उत्तरप्रदेश-विधानसभा-चुनाव में अपने प्रत्याशी खड़े कर दें।

बहरहाल, किसान-आन्दोलन के चलते उत्तरप्रदेश का विधानसभा दिलचस्प मोड़ पर पहुँच चुका है, जहाँ ‘भारतीय जनता पार्टी’ को लोहे के चने चबाने पड़ सकते हैं। देखना है, यह महापंचायत कितनी कारगर सिद्ध होती है।

(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ५ सितम्बर, २०२१ ईसवी।)