दो पीएच. डी. छात्रों की आत्महत्याएं

राम वशिष्ठ-


इस देश में दो साल के दौरान दो आत्महत्याएं ऐसी हुई जिनकी वजह जातिवाद था । पहली आत्महत्या रोहित वेमुला ने 17 जनवरी 2016 को की और अपने सुसाइड नोट में अपनी आत्महत्या की वजह जातिवाद को बताया । रोहित हैदराबाद विवि में पीएचडी का छात्र था । दूसरी आत्महत्या सरदार वल्लभ भाई पटेल कृषि विवि मेरठ के छात्र राहुल चौधरी ने 14 अगस्त 2017 को की । राहुल एग्रोनाॅमी में पीएचडी कर रहा था । राहुल ने 16 पेज के सुसाइड नोट में अपनी आत्महत्या की वजह जातिवाद को ही बताया । लेकिन दोनों घटनाओं में फर्क है । रोहित वेमुला दलित जाति से संबंधित था और उसने इस कारण बार-बार अपमान सहन किया और हर बार हर अवसर पर अगडी जाति वालों ने उसे नीचा दिखाने की कोशिश की थी । राहुल जाट समुदाय से था और विवि के दो प्रोफेसर उसकी जाति से द्वेष रखते है और उसको जाट जाति का होने के कारण प्रताड़ित किया गया । रोहित वेमुला आत्महत्या प्रकरण में सड़क से लेकर संसद तक खूब घमासान मचा लेकिन राहुल चौधरी सुसाइड केस में कोई नही बोल रहा है । रोहित की आत्महत्या राजनीति चमकाने का एक अवसर नज़र आ रही थी नेताओ को तो खूब उधम मचाया मुद्दे को भुनाने के लिए , लेकिन राहुल चौधरी सुसाइड केस से किसी की राजनीति पर कुछ असर नही होता है तो बस सब चुप है वर्ना इसमें भी उछल कूद कर लेते । अगर देखा जाए तो दोनों दुःखद घटनाओं की जड सिर्फ जातिवाद है , लेकिन राजनीति सिर्फ अपनी सुविधा देखती है जातिवाद नही ।
आजकल सोशल मीडिया पर एक पोस्ट वायरल है कि जब सारे टैक्स खत्म करके जीएसटी लगा दिया है तो अब सारी जातियां खत्म करके एक जाति भारतीय कर देनी चाहिए । पढ़ने में बहुत अच्छा लगता है लेकिन क्या ऐसा व्यवहार में संभव है ? मेरा जवाब नहीं में है । जातिवाद भारतीय समाज की एक कडवी सच्चाई है । और यह सिर्फ हिन्दू धर्म में ही नही है बल्कि बाहर से जातिविहीन नज़र आने वाले मुस्लिम , सिख और ईसाई धर्म में भी है । जाति आधारित द्वेष कई किस्म का है जैसे समाज में कुछ जातियां अगडी तो कुछ दलित है और इनके बीच आज भी जबर्दस्त छुआछूत है । एक ही सामाजिक स्तर की दो जातियों के बीच वर्चस्व का झगड़ा है । किसी सरकारी कार्यालय में दलित जाति के दो अधिकारियों के नीचे एक सामान्य जाति का कर्मचारी अगर आ जाए तो फिर देखिए वो दोनों अधिकारी उस कर्मचारी को कैसे मानसिक तनाव में डालते है ( यह लाइन निजी अनुभव है ) । अगर एक दलित अधिकारी के नीचे चार सामान्य जाति के कर्मचारी हो तो वह अधिकारी कितना भी अच्छा क्यों न हो वो कर्मचारी उसकी हर अच्छी से अच्छी और लाभदायक पहल को नाकाम करके ही दम लेंगे । आप बेहद गरीब है और विवाह योग्य है कि अचानक आपके घर एक रिश्ता आपकी जाति के किसी रईस के घर से आ गया, रईस हर तरह से तैयार है लेकिन आपका इंकार है तो फिर देखिए वो कैसे सारी जाति को आपके खिलाफ करने की कोशिश करता है कि आप अपने इन्कार पर पछतावा ही करेंगे । यह भी जातिवाद ही है । तो जहां जिसका मौका है वहीं वो जातिवाद का तीर चला कर अपना हित साधने की कोशिश करता है और जब तक यह बात रहेगी तब तक रोहित और राहुल आत्महत्या करते रहेंगे ।बस उम्मीद करता हूँ कि यह चलन बदले, जातिवाद खत्म हो और होनहार अकाल मौत खुद को ना मारे ।

जय हिंद । वन्देमातरम्