मनीष कुमार शुक्ल ‘मन’, लखनऊ-
किस कारण कोई स्वाँग रचो ||
किस कारण कोई स्वाँग रचो ||
निज भाषा है अपना मान |
हिंदी से ही है सम्मान ||
अपनी भाषा ही है मूल |
उन्नत जीवन रखना ध्यान || (1)
पहली बार जो मुँह ये खोला |
मम्मी तो नहीं ‘माँ’ था बोला ||
भाषा भ्रष्ट है अब तो अपनी |
कैसे हो गई गंदी जननी || (2)
तुम हर भाषा का ज्ञान रखो |
लेकिन हिंदी अभिमान रखो ||
जीवन उन्नत यदि चाह रहे |
अपनी भाषा स्वाभिमान रखो || (3)
किस कारण कोई स्वाँग रचो ||
किस कारण कोई स्वाँग रचो ||