
भारत ने पहली बार सर्वाधिक पदक जीतने का कीर्तिमान बनाया!
● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
अन्तत:, चीन के कलाकारों के द्वारा नयनाभिराम गीत-संगीत तथा रंगारंग अभिव्यक्ति के साथ बाईसवें एशियाई खेल का ८ अक्तूबर को चीन के हाँगझाऊ मे समापन की शुरूआत की गयी थी। ज्योति को जापान के अधिकारी को सौंपा गया था, जिसका संकेत है कि अगला एशियाई खेल जापान ‘नगोया’ मे होगा। जापान के राष्ट्रगान की धुन के साथ वहाँ के ध्वज का आरोहण कर इस तथ्य का रेखांकन किया गया कि वर्ष २०२६ मे तेईसवें एशियाई खेलों की मेज़बानी जापान देश करेगा। इस औपचारिकता के पश्चात् जापान के कलाकारों ने मनोरम संगीत के साथ समापन-समारोह को अन्तिम रूप दिया था।
अब एशियन खेल– २०२२ मे सभी देशों की प्रतिस्पर्द्धाएँ समाप्त हो चुकी हैं। इस खेल मे सर्वाधिक ४४ देशों के ६,५७२ खेलाड़ियों ने ३८ प्रतिस्पर्द्धाओं मे भाग लिये थे। पहली बार ‘एशियाई ओलिम्पिक परिषद्’ के समस्त ४४ सदस्य-देश सम्मिलित हुए थे।
भारत का ऐतिहासिक प्रदर्शन और उपलब्धियाँ
चीन के हाँगझाऊ मे आयोजित किये गये उन्नीसवीं एशियाई खेल-प्रतियोगिता भारतीय खेलाड़ियों ने २८ स्वर्णपदक, ३८ रजतपदक तथा ४१ काँस्यपदक के साथ कुल १०७ पदक अर्जित कर, अब तक के एशियाई खेलों मे सर्वाधिक पदक प्राप्त कर लिये हैं। भारत ने पहली बार १०० अथवा १०० से अधिक पदक अर्जित किये हैं। भारत ने एक दिन मे सर्वाधिक पदक जीतने का भी कीर्तिमान बना लिया है। पुरुष-क्रिकेट का खेल ऐसा था, जिसमे भारत ने फ़ाइनल बिना प्रदर्शन किये ही स्वर्णपदक अर्जित कर लिया। फ़ाइनल मे भारत का अफग़ानिस्तान के साथ मुक़ाबला था; परन्तु वर्षा से बाधित मैच न होने के कारण भारत को पूर्व-प्रदर्शन के आधार पर प्राप्त अंकों के कारण विजेता घोषित कर दिया गया। इस प्रकार वह स्वर्णपदक-विजेता बन गया था।
भारत ने सर्वाधिक पदक एथलेटिक मे जीते हैं। भारतीय एथलीटों ने सर्वाधिक २९ पदक अपने नाम कर लिये हैं।
समापन के एक दिन पहले भारत की झोली मे ५ स्वर्णपदक आये थे, जिनमे २ कबड्डी, १ तीरन्दाज़ी तथा १ बैडमिण्टन मे था। भारत को ऐतिहासिक १०० वाँ पदक महिला-कबड्डी मे था, जिसमे भारतीय महिलाओं ने चीनी ताइपे-दल को नाटकीय फ़ाइनल मे २६-२५ से हराकर स्वर्णपदक जीता था। भारतीय पुरुष कबड्डी-दल ने विवादास्पद फ़ाइनल मे निर्णायकों, खेलाड़ियों तथा दलीय अधिकारियों के मध्य लगभग १ घण्टा तक की बहस के बाद गत चैम्पियन ईरान को ३३-२९ से पराजित कर स्वर्णपदक जीता था। भारत की अनुभवी कम्पाउण्ड तीरन्दाज़ ज्योति सुरेखा वेन्नम और ओजस देवताले ने स्वर्णपदक तीन बार जीतकर एशियाई खेलों मे ९ पदक जीतकर कीर्तिमान स्थापित किया था। इस तरह कम्पाउण्ड तीरन्दाज़ों ने सभी पाँच पदक जीतकर कोरिया के प्रभुत्व को ध्वस्त कर दिखाया था। अभिषेक वर्मा को रजत और अदिति स्वामी को काँस्यपदक मिले थे। रिकर्व तीरन्दाज़ों ने २ पदक जीते थे, जो एशियाई खेलों के १३ वर्षों मे पहली बार हुआ है। इससे पहले भारत ने वर्ष २०१४ के इंचियोन मे ३ पदक जीते थे।
भारत के सात्विक साईंराज रंकी रेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी ने दक्षिण-कोरिया के चोइ सोलेग्यू और किम वोन्हो को सीधे खेल मे २१-१८ और २१-१६ से पराजित कर, एशियाई खेलों की बैडमिण्टन पुरुष-युगल-स्पर्द्धा मे ऐतिहासिक स्वर्णपदक पर अधिकार कर लिया था। उन्होंने ४१ वर्षों-बाद भारत को पदक दिलाये हैं। भारतीय खेलाड़ियों ने नौकायन, हॉकी, तीरन्दाज़ी, निशानेबाज़ी, टेनिस, टेबिल टेनिस, घुड़सवारी, मुक्केबाज़ी, कुश्ती आदिक खेलों मे उल्लेखनीय प्रदर्शन कर भारत को पदक दिलाये हैं। भारतीय एथलीटों (दौड़-कूद-प्रक्षेप) की प्रदर्शन और उपलब्धियों की जितनी भी प्रशंसा की जाये कम है।
इस एशियाई खेल मे सर्वाधिक पदक मेज़बान देश चीन ने जीते हैं। उसने कुल २०० स्वर्णपदक, १११ रजतपदक तथा ७१ काँस्यपदक जीते हैं; जापान १८६ पदकों के साथ दूसरे, कोरिया गणराज्य १९० पदकों के साथ तीसरे स्थान पर रहे, जबकि १०७ पदकों के साथ भारत का स्थान चौथा रहा।
एक विषय ऐसा है, जिसके प्रति भारतीय प्रशिक्षकों, अधिकारियों आदिक को सजग रहना होगा; और वह यह कि भारतीय खेलाड़ियों को अभी और उत्तम क़िस्म के सुविधा-साधन तथा प्रशिक्षण की आवश्यकता है।
सर्वाधिकार सुरक्षित― आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, प्रयागराज; ९ अक्तूबर, २०२३ ईसवी।)