सई नदी की करुण कथा : पौराणिक और ऐतिहासिक नदी मर रही है

फ़िलहाल, ‘नोटा’ के अलावा और कोई रास्ता नहीं

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
(प्रख्यात भाषाविद्-समीक्षक)

डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय


जी०एस०टी० विधेयक को क़ानून बनाने का औचित्य क्या रहा है?
१- किस दवा और चिकित्सीय सामग्री के मूल्यों में कमी हुई है?
२- खाने-पीने की किस वस्तु के दाम में कमी हुई है?
३- घर बनाने की किस वस्तु की क़ीमत में कमी हुई है?
४- पहनने-ओढ़ने-बिछाने की किस वस्तु के मूल्य में कमी हुई है?

बड़े व्यापारियों को छोड़ दें तो सारे मध्यम और लघु व्यापारी आम जनता को पहले ही की तरह से लूट रहे हैं और जनसामान्य देश की सरकार की अदूरदर्शितापूर्ण नीति के कुचक्र में बुरी तरह से फँसता जा रहा है।
देश के सभी जनता को धर्म, जाति, वर्गादिक से परे होकर सरकार की स्वार्थपरक जनदोहन-कुनीतियों के विरुद्ध एकजुट होना होगा; क्योंकि देश के विपक्षी नेता ‘दो कौड़ी’ के दिख रहे हैं। एक बार पक्ष-विपक्ष की औक़ात ज़मीन पर लाने की ज़रूरत है; ‘नोटा’ के अलावा अन्य कोई विकल्प नहीं दिखता।

आनेवाले किसी भी प्रकार के चुनाव में देश के लोग अपने घरों में रहें; मतदान करने का विचार तक न लायें; फिर देखिए, आज जितने भी नेता बहक कर ‘चहक’ रहे हैं, कल वही देश की जनता के सामने ‘घुटनों के बल’ चलते हुए नज़र आयेंगे।

(सर्वाधिकार सुरक्षित : डॉ० पृथ्वीनाथ पाण्डेय, इलाहाबाद; २५ जुलाई, २०१८ ईसवी)