● आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय
कानपुर-दंगे को लेकर वहाँ की डी० एम० का स्थानान्तरण कर दिया गया है; अनेक पुलिस-अधिकारियों को इधर-उधर कर दिया गया है; मगर जिस मुख्य आरोपित और कथित ‘मास्टर माइण्ड’ नूपुर शर्मा के पैग़म्बर-विषयक आपत्तिजनक टिप्पणी के कारण भारत की विदेश मे ‘थुआ-थुआ’ की जा रही है, उसे अभी तक किस ख़ुशी मे गिरिफ़्तार नहीं किया गया है, इसका जवाब देश माग रहा है। सम्बन्धित समाचार-चैनल की सूत्रधार को छोड़ दिया गया, क्यों? जिस नूपुर की अभद्र शब्दावली के कारण आज कानपुर-सहित समूचा देश अशान्त है, अभी तक उस महिला की गिरिफ़्तारी का न किया जाना, इस बात का सूचक है कि भारतीय जनता पार्टी की वाचाल प्रवक्त्री को अरब देशों की धमकी और भारत के सामान का बहिष्कार के दुष्प्रभाव को समझते हुए ही, केवल ‘दिखावे’ के लिए ‘प्रवक्त्री’ की भूमिका से बाहर किया गया है; भारतीय जनता पार्टी के शीर्ष नेतृत्व की इसमे रुचि बिलकुल नहीं दिख रही है, अन्यथा वह औरत कबकी गिरफ़्तार की जा चुकी रहती। यहाँ ठीक वही स्थिति है, जब प्रज्ञा सिंह की कुछ ऐसी ही हरकत पर नरेन्द्र मोदी ने कहा था– मै प्रज्ञा सिंह को मन से कभी माफ़ नहीं करूँगा और आगे चलकर वह महिला और सक्रिय होती दिखती रही।
हमे नहीं भूलना चाहिए कि केवल नूपुर शर्मा के कथित बयानबाज़ी से आज देशभर मे ‘आतंक’ का माहौल बन गया है और मोदी-सरकार चुप्पी साधी हुई है। यदि सरकार मे ज़रा भी ईमानदारी हो तो नूपुर शर्मा को गिरिफ़्तार करे और उस पर मुक़द्दमा चलवाये, ताकि देश मे राजनीतिक दलों की जितनी भी वाचाल और लम्पट प्रवक्ता-प्रवक्त्रियाँ हैं, उन सभी को सबक़ मिल सके।
सत्ता का संचालन एकपक्षीय नीति के सहारे नहीं किया जा सकता, इसके लिए पारदर्शी तरीक़े से नीतियों का प्रतिपादन करना होगा। आज इसी का अभाव है, जिसके फलस्वरूप भारतीय जनता पार्टी की मोदी-सरकार के गठन होते ही दो समुदायों के बीच ही देश मे अराजकता की स्थिति उत्पन्न की जाती रही है। सत्ता की राजनीति के आगे राष्ट्रीयता को तिलांजलि देती दिख रही है, ‘न्यू इण्डिया की मोदी-सरकार’। यही कारण है कि आज ‘सत्य का स्वर’ उभारनेवालों को ‘राजद्रोही’ का पुरस्कार दिया जा रहा है।
आज कानपुर-सहित समूचे देश मे जिस अराजकता और भय का वातावरण दिख रहा है और उससे औसत जनता जिस तरह से प्रभावित हो रही है, उसके लिए केवल नूपूर शर्मा की जवाबदेही बनती है।
विश्व के समस्त इस्लामिक देशों के राष्ट्राध्यक्षों ने भारत पर इतना ज़बरदस्त दबाव बनाया है कि मोदी-सरकार ने देश पर से दबाव घटाने के लिए उस अभद्रभाषी महिला को बाहर का रास्ता दिखाया है; परन्तु बात इससे बननेवाली नहीं दिख रही है। क़तर देश ने वहाँ के भारतीय राजदूत को तलब कराते हुए, स्पष्टीकरण की माग की है।
निस्सन्देह, वैश्विक पटल पर ऐसे दुष्कृत्य के चलते, भारत की साख पर बट्टा तो लग ही चुका है, जो कि ‘न्यू इण्डिया की मोदी-सरकार’ के लिए लज्जास्पद स्थिति उत्पन्न करता है।
(सर्वाधिकार सुरक्षित– आचार्य पं० पृथ्वीनाथ पाण्डेय प्रयागराज; ८ जून, २०२२ ईसवी।)